Govt. का धार्मिक अनुष्ठानों को बन्द रखना विद्वानों के रोजगार पर चोट – संजय अवस्थी

Govt. का धार्मिक अनुष्ठानों को बन्द रखना विद्वानों के रोजगार पर चोट – संजय अवस्थी

Govt. का धार्मिक अनुष्ठानों को बन्द रखना विद्वानों के रोजगार पर चोट - संजय अवस्थी

अर्की , शहनाज भाटिया :

प्रदेश कांग्रेस कमेठी के महासचिव संजय अवस्थी ने सरकार के धार्मिक अनुष्ठानों को बन्द रखने के निर्णय
 
को गलत बताते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार केबिनेट के फैसलों से जहाँ आम जनता खुश है वहीं
 
कुछ कारणों से रोष भी व्याप्त है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा सरकारी कार्यालयों में 100 प्रतिशत
 
स्टाफ की आमद,जिम ,सिनेमा हॉल,पार्क,स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, मन्दिर खोलने के साथ शादी समारोहों व
 
सामाजिक समारोहों को शर्त के साथ खोलने का फैसला लेना एक सही निर्णय है । लेकिन दूसरी और
 
धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए फैसला न देना एक दुर्भाग्यपूर्ण सोच है। उन्होंंने कहा कि जब बाहरी राज्यो से
 
हजारों की तादाद में सैलानी हिमाचल में बिना रोक टोक के आ रहे है। होटलों में रह रहे हैं। तब कोरोना चेन
 
बनने का डर नही है ।और यदि हिमाचल के स्थानीय लोग कोविड नियमो का पालन कर अपने देवी देवताओं
 
का अनुष्ठान करना कहते है तो उनके लिए कोरोना महामारी का डर दिखा कर बंदिशें लगाई जा रही है ।
 
जोकि सरासर गलत है । क्या बाहरी राज्यो से आने वाले लोग ही कोविड नियमो का पालन करना जानते है
 
हिमाचल के निवासी नही जानते है।लोगो का कहना है कि उनके कई धार्मिक अनुष्ठान लगभग 2 वर्षो से
 
लंबित पड़े हैं।लेकिन सरकार उन्हें सम्पूर्ण करने के बारे में कोई सकारात्मक निर्णय नही ले रही है । जिससे
 
लोगो की आस्था पर चोट पड़ रही है सरकार को चाहिए कि जिस तरह नियम बना कर शादी व अन्य
 
सामाजिक समारोहों करने के निर्देश दिए है।उसी तरह धार्मिक अनुष्ठानों के लिए में नियमबद्ध आदेश जारी
 
किए जाए ताकि लोगो की आस्था व सरकार की फैसलों में टकराव उतपन्न ना हो सके।।
 
 
उनका कहना है कि  लोगो मे यह चर्चा भी चली हुई है कि लॉक डाउन में  इसलिए छूट दी जा रही है कि
 
अगस्त में हिमाचल में उपचुनाव है व इन चुनावों में सफलता पाने के लिए चुनावी रैलियों एवम जनसमर्थन
 
जुड़ाने के लिए होने वाली भीड़ पर उंगलिया ना उठ सके। इसलिए सरकार ने सामाजिक समारोहों व अन्य
 
छूट का फैसला लिया है। जिससे हिमाचल के आमजन के साथ धर्मकर्म से जीविकापार्जन करने वाले लोगो मे
 
रोष व्याप्त है क्योकि धार्मिक अनुष्ठानों से ब्राह्मणों व धार्मिक कार्य करने वाले विद्वानों का व उनके साथ अन्य
 
लोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जीविकापार्जन जुड़ा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि  सरकार को
 
चाहिए की सामाजिक समारोहों पर लागू नियमो के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति भी दी जाये
 
ताकि लोगो की आस्था पर चोट न पहुंचे। अन्यथा धार्मिक अनुष्ठान ना करने देने का निर्णय सरकार के लिए
 
ठीक साबित नही होगा।
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