राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने आज डाॅ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के सीनेट की 16वीं वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विद्यार्थियों की अकादमिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिये भी प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि यह हम सब का सामूहिक दायित्व है कि यह विश्वविद्यालय देश के आदर्श शिक्षण संस्थान के रूप में पुनर्प्रतिष्ठापित हो। इसके लिए विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं अनुसंधान गतिविधियों को और बेहतर तरीके से चलाने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहने की आवश्यकता है।

उन्होंने सीनेट की बैठक को नियमित तौर पर आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष अपनी घरेलू आय 30.74 करोड़ रूपये अर्जित की है तथा विश्वविद्यालय केंद्र सरकार से भी अनुसन्धान व शिक्षा कार्यों के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद से अनुदान ले रहा है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान कार्य परियोजनाओं के लिये धनराशि उपलब्ध करवाने के लिये प्रयास किये जाने चाहिये।

श्री शुक्ल ने कहा कि इस अवधि में विश्वविद्यालय ने बुनियादी ढांचा विकसित करने में काफी प्रगति की है। इस दिशा में पिछली सीनेट की बैठक से अब तक 37.99 करोड़ रुपये निर्माण कार्यों पर खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आधुनिक प्रयोगशालाएं, छात्रों के लिए अध्ययन-कक्ष, ई-कार्ट्स तथा सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए, सोलर रूफ टाॅप पावर प्लांट व छात्रों के लिए एक सोलर स्टीम किचन जैसी सुविधाएं स्थापित की गई हैैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को छात्रों और वैज्ञानिकों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इस अवधि के दौरान 4 हजार 623 नई किताबें, पत्रिकाएं और थीसिस पुस्तकालय संग्रह में जोड़ी गई हैं। उन्होंने कहा कि समाज की नई पीढ़ी को मात्र उपाधिधारक बना देने से हमारा दायित्व पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि युवाओं में सम-सामयिक चुनौतियों का सामना करने का साहस और क्षमता विकसित करना भी हमारी जिम्मेदारी है तभी विश्वविद्यालय सही मायनों में अपनी भूमिका को निभा पाएगा।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा एवं विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य श्री विनोद सुलतानपुरी तथा श्री अजय सोलंकी ने भी अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चन्देल ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस दौरान भौतिक विकास के साथ-साथ अकादमिक उपलब्धियां विश्वविद्यालय ने अर्जित की हैं।

उन्होंने कहा कि विभिन्न एजेंसियों और संस्थानों के माध्यम से 89 परियोजनाएं अनुसंधान के लिये पिछले पांच वर्षों में मिली हैं और पिछले माह में नाबार्ड ने इस के लिये 29 लाख का अनुदान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक कृषि के लिये विश्वविद्यालय को अभी तक 5 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में विश्वविद्यालय ने करीब 31 करोड़ रुपए की आये अर्जित की है।डाॅ. संजीव चौहान, निदेशक अनुसंधान ने शोध गतिविधियों तथा डाॅ. इंदर देव, विस्तार शिक्षा ने विस्तार गतिविधियों पर अपनी प्रस्तुति दी।

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