जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था उस वक्त बिलकिस बानो (Bilkis Bano) 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी.

बिलकिस बानों (Bilkis Bano) के दोषियों को पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर गुजरात सरकार ने एक अप्रचलित कानून की मदद से रिहा कर दिया था. जिससे विपक्ष, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज में निंदा और आक्रोश की लहर थी.

बिलकिस बानो (Bilkis Bano) ने कहा था कि उन्हें रिहाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. वहीं इनकी रिहाई के फैसले को बिलकिस बानो (Bilkis Bano) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिलकिस बानो के हक में आया है.

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