महाशिवरात्रि का त्योहार आज पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है और लोग जगह जगह शिवालयों में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करते हुए दिखाई दे रहे हैं . भगवान शिव से जुड़ी कई रोचक कथाये हैं जो लोगों को चकित कर देने वाली हैं उन्हीं में से एक कहानी है जहाँ जहां मां काली ने भगवान शिव की छाती पर पैर रख दिया था.
कथा के अनुसार ये बात उस समय की है जब देवताओं को नष्ट करने के लिए राक्षसों ने पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मचा रखा था . इन सभी राक्षसों का सेनापति था रक्तबीज जिसने घोर तपस्या से ये वरदान प्राप्त किया था कि उसके रक्त की एक बूंद गिरने पर रक्तबीज की संख्या एक हजार तक हो सकती थी. इसी वरदान से डरकर देवताओं ने माँ दुर्गा को याद करके मदद की गुहार लगाई .
मां दुर्गा देवताओं के अस्त्रों से युक्त होकर शेर पर सवार होकर रक्तबीज का संहार करने के लिए रणभूमि में आ गयी और रक्तबीज तथा माँ दुर्गा का युद्ध शुरू हो गया . माँ दुर्गा ने बार-बार रक्तबीज का वध करती पर रक्त की प्रत्येक बूँद से फिर उसके जैसे कई हजार राक्षस पैदा हो जाते . तब माँ दुर्गा ने क्रोधित होकर अपनी भौहें सिकोड़ ली जिससे माँ काली की उत्पति हुई .
माँ काली ने जब गर्जना की तो पूरा ब्रह्मांड हिल उठा और जो राक्षस उनके निकट खड़े थे वो क्रोध की अग्नि में भस्म हो गए . तभी माँ काली भारी गर्जना करती हुईं रक्तबीज की सेना पर टूट पड़ी और एक एक करके राक्षसों का संहार करती हुई रक्तबीज के पास आ गयीं .रक्तबीज को देखते ही माँ काली का क्रोध और भी बढ़ गया और उन्होंने अपनी जीभ को इतना फैला दिया कि सारे रक्तबीज उसमें समा गए .
अब जहां भी रक्तबीज का रक्त गिरता, मां काली उसे पी जातीं. रक्तबीज को समाप्त करते हुए मां इतनी क्रोधित हो गईं कि उनको शांत करना मुश्किल हो गया इसलिए सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और बोले कि आप ही मां का क्रोध शांत कर सकते हैं. मां काली के क्रोध को शांत करना भगवान शिव के लिए भी आसान नहीं था, इसलिए भगवान शिव काली मां के मार्ग में लेट गए. क्रोधित मां काली ने जैसे ही भगवान शिव की छाती के ऊपर पांव रखा, वो झिझक कर ठहर गईं और उनका गुस्सा शांत हो गया. इस तरह भगवान शिव ने देवताओं की मदद की और मां काली के गुस्से को शांत किया, जो सृष्टि के लिए भयानक हो सकता था.