हिमाचल प्रदेश को एक समय बिजली अधिशेष राज्य के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यहां की औद्योगिक इकाइयां पलायन की कगार पर हैं। इसकी प्रमुख वजह बिजली शुल्क में लगातार हो रही वृद्धि है। स्टील इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव राजीव सिंगला ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से बिजली शुल्क में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और इस वर्ष 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी बिजली शुल्क में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

बिजली शुल्क में भारी वृद्धि:

बिजली शुल्क में 1 रुपये प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है, जिससे उद्योगों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ रहा है। हालांकि, 50 किलोवाट से कम बिजली भार वाले उपभोक्ताओं को इससे राहत दी गई है, लेकिन बाकी सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं को इस असाधारण वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। यह वृद्धि प्रदेश बिजली बोर्ड के इतिहास में सबसे बड़ी मानी जा रही है।

पड़ोसी राज्यों की तुलना में उच्च बिजली दरें:

हिमाचल प्रदेश का बिजली शुल्क अब पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों के बराबर या उससे भी अधिक हो गया है। यह स्थिति प्रदेश के उद्योगों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है, क्योंकि पड़ोसी राज्यों में बिजली दरें अपेक्षाकृत कम हैं और वहां उद्योगों को निवेश के लिए आकर्षक प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। इस प्रकार, हिमाचल के उद्योग पड़ोसी राज्यों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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सरकार की सब्सिडी नीति और प्रभाव:

प्रदेश सरकार ने बिजली शुल्क की इस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए वर्ष 2024-25 के लिए एचपीएसईबीएल को सब्सिडी प्रदान करने का वादा किया था। हालांकि, 21 अगस्त 2024 को मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राज्य सरकार ने होटलों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए सब्सिडी वापस लेने का फैसला किया है, जबकि उद्योगों के लिए अंतिम निर्णय 2 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री की बैठक के बाद लिया जाएगा।

उद्योगों पर अतिरिक्त बोझ:

बिजली शुल्क में वृद्धि के साथ ही हिमाचल प्रदेश के उद्योगों को अन्य आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। इनमें एजीटी (अधिक कर), सीजीसीआर जैसे अतिरिक्त कर, कार्टेलाइजेशन के कारण उच्च परिवहन लागत और श्रमिकों की ऊँची लागत शामिल हैं। इन सभी समस्याओं के चलते उद्योग प्रदेश में रहने की बजाय पड़ोसी राज्यों में शिफ्ट हो रहे हैं, जहां उद्योगों को अधिक सहूलियतें मिल रही हैं।

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आर्थिक और रोजगार पर असर:

यदि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी पूरी तरह से वापस ले ली जाती है, तो इसका प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। उद्योगों में काम करने वाले 7 लाख से अधिक लोगों की नौकरियों पर संकट आ सकता है, साथ ही 30,000 से अधिक परिवहन वाहनों को सामग्री की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।

राज्य सरकार से अपील:

हिमाचल प्रदेश स्टील इंडस्ट्रीज एसोसिएशन राज्य सरकार से अपील कर रही है कि वह बिजली सब्सिडी को वापस न ले, ताकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था और रोजगार को बचाया जा सके। इसके साथ ही सरकार की विश्वसनीयता और राज्य में औद्योगिक निवेश का माहौल बना रहे।

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