गणेश चतुर्थी, जो भगवान गणेश के पुनर्जन्म का जश्न है, 10 दिन तक चलने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। इस वर्ष, 7 सितंबर 2024 को गणेश स्थापना के लिए सुबह 11:10 से दोपहर 01:39 तक का समय सबसे शुभ माना गया है। इस विशेष अवसर पर भगवान गणेश की पूजा में कुछ खास नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में:

1. गणेश स्थापना के समय का महत्व:
गणेश जी की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। शुभ समय में गणपति की मूर्ति स्थापित करने से घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।

2. पूजा सामग्री का चयन:
भगवान गणेश की पूजा में सूखे फूल, तुलसी, केतकी का फूल और टूटे अक्षत वर्जित माने गए हैं। पूजा के लिए ताजे फूल, दूर्वा, और सिंदूर का प्रयोग करना चाहिए। विशेष रूप से घर में सिंदूरी गणेश जी की स्थापना करना शुभ माना जाता है, जिससे घर की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

3. मूर्ति का चुनाव:
गणेश जी की मूर्ति का चुनाव करते समय ध्यान रखें कि मूर्ति में चूहा अवश्य होना चाहिए, क्योंकि चूहा भगवान गणेश का वाहन है। बिना मूषक के गणेश प्रतिमा की पूजा करना दोषकारी माना जाता है। इसके अलावा, गणेश जी की बाईं ओर वाली सूंड की मूर्ति को वाममुखी गणपति कहा जाता है, जो अत्यंत शुभ मानी जाती है। इनकी उपासना से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

4. बैठी मुद्रा में गणेश प्रतिमा:
घर में गणेश जी की स्थापना के लिए बैठी मुद्रा में प्रतिमा का चयन करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, बैठे हुए गणपति धन, समृद्धि और सुख का प्रतिनिधित्व करते हैं।

5. गणेश विसर्जन का समय:
अगर आप गणेश जी की मूर्ति को 10 दिन से पहले विसर्जन करना चाहते हैं, तो डेढ़, तीन, या पांच दिन के बाद ही शुभ मुहूर्त में विसर्जन करें। इससे बप्पा की कृपा सदा आप पर बनी रहेगी।

पूजा के समय ध्यान देने योग्य बातें:

  • जब घर में गणेश जी विराजमान हों, तो घर को कभी सूना न छोड़ें और न ही वहां अंधेरा करें।
  • रोज सुबह-शाम गणेश जी की आरती अवश्य करें।
  • गणेश उत्सव के दौरान घर को साफ और पवित्र रखें, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास हो।
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