हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हमीरपुर-मंडी नेशनल हाइवे के कामकाज में हो रही देरी और अन्य कमियों की जांच के लिए सचिव स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले को दिल्ली में उठाया गया है और नेशनल हाईवे अथॉरिटी की धीमी कार्यशैली का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि विपक्ष की नाकामी और दिवालियापन अब पूरी तरह से उजागर हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष चर्चाओं से बचने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उनके पास सरकार से सवाल पूछने का कोई ठोस आधार नहीं है। सदन में विपक्ष के गैरहाजिर रहने पर भी मुख्यमंत्री ने सवाल उठाए।

कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर ने प्रश्नकाल के दौरान इस मामले को उठाया और उचित मुआवजे की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र के लोगों को अभी तक उचित मुआवजा नहीं मिला है। इस पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जानकारी दी कि मुआवजे के रूप में 295 करोड़ रुपये की राशि पहले ही दी जा चुकी है।

विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2017 में 69 नेशनल हाइवे की घोषणा की थी, लेकिन बाद में 25 योजनाओं को हटाकर सिर्फ 6 सड़कों के प्रस्ताव मांगे गए। उन्होंने कहा कि घुमारवीं-सरकाघाट सड़क को इसमें शामिल करने के लिए वह मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।

इस सड़क का चौड़ीकरण कार्य विश्व बैंक परियोजना के तहत सरकार द्वारा टू लेन के मानकों के अनुसार किया जा रहा है और यह राष्ट्रीय राजमार्ग के मानकों को पूरा करती है।

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