हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला, जिसे “छोटी काशी” के नाम से जाना जाता है, अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां 80 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें से अधिकतर भगवान शिव को समर्पित हैं। इन्हीं में स्थित है ऐतिहासिक एकादश रूद्र महादेव मंदिर, जो ब्यास नदी के किनारे अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है।
यह भी पढ़ें : भुंडा महायज्ञ : 65 वर्षीय सूरतराम का 9वीं बार खाई पार प्रदर्शन
यह भारत का दूसरा और उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसमें एक साथ 11 शिवलिंगों की पूजा होती है। यह मंदिर सनातन धर्म की पंचदेव उपासना पद्धति पर आधारित है। गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ “एकादश रूद्र महादेव” के रूप में विराजमान हैं। मंदिर के परिक्रमा मार्ग में चार और देवताओं के मंदिर हैं – सूर्य देव, श्री गणेश, त्रिपुरा सुंदरी, और भगवान सत्यनारायण।
एकादश रूद्र मंदिर के निर्माण को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। स्वामी अखंडानंद के अनुसार, यह मंदिर 350 वर्ष पूर्व राजा साहिब सेन ने बनवाया था। वहीं किवदंती के अनुसार, इसका निर्माण राजा विजय सेन की माता साहिबा ने करवाया। मंदिर की वास्तुकला पंचायत शैली पर आधारित है, जिसमें परिक्रमा मार्ग, तोरण द्वार, मंडप और गर्भगृह सम्मिलित हैं।
मंडी जिला रियासतकाल से शिवरात्रि महोत्सव के लिए मशहूर है। इस साल शिवरात्रि महोत्सव 18 से 25 फरवरी तक मनाया जाएगा। एकादश रूद्र मंदिर में 12 फरवरी से ही “ओम नमः शिवाय” का अखंड जाप शुरू हो गया है। इस दौरान मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित रहेगी। उपायुक्त मंडी ने 12 फरवरी को सुबह 9:00 बजे इस आयोजन का शुभारंभ किया।मंडी जिला देव संस्कृति और प्राचीन मंदिरों का केंद्र है। यहां आयोजित होने वाला शिवरात्रि महोत्सव धार्मिक आस्था और परंपराओं का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।