शिमला जिले के रोहड़ू में स्थित स्पैल घाटी के दलगांव में 40 साल बाद ऐतिहासिक भूंडा महायज्ञ शुरू हो गया है। वीरवार को देवता मोहरिश, देवता महेश्वर और बौंद्रा देवता अपने हजारों देवलुओं के साथ देवता बकरालू के मंदिर पहुंचे। ढोल, नगाड़ों और रणसिंगों की धुनों के बीच पारंपरिक वेशभूषा में देवलू नाचते-गाते मंदिर पहुंचे।
इस महायज्ञ का आयोजन 5 दिन तक होगा और इसमें करीब 1 लाख श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। देवता बकरालू के मंदिर में देवताओं के आगमन के साथ यह महायज्ञ विधिवत रूप से आरंभ हुआ। महायज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म होगी।
शनिवार को महायज्ञ की मुख्य रस्म “बेड़ा” का आयोजन किया जाएगा। इसमें एक विशेष व्यक्ति मूंजी (घास) से बने 100 मीटर लंबे रस्से पर लकड़ी की काठी से फिसलकर एक छोर से दूसरे छोर तक जाएगा। यह रस्म महायज्ञ का प्रमुख आकर्षण है और इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
वीरवार को सबसे पहले रंटाड़ी गांव के देवता मोहरिश दलगांव पहुंचे। इसके बाद समरकोट के पुजारली गांव के देवता महेश्वर और बछूंछ गांव के देवता बौंद्रा भी मंदिर पहुंचे। सभी देवलू अपने हाथों में डंडे, तलवारें और अन्य पारंपरिक हथियार लेकर जयकारे लगाते हुए पहुंचे।
रातभर नाटियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन चलता रहा। श्रद्धालुओं और देवलुओं के लिए संयुक्त लंगर की व्यवस्था की गई है। ठंड के बावजूद देवलू तंबुओं के बाहर लावा जलाकर झूमते रहे।शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी महायज्ञ में शामिल होंगे।