केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और चोटों को कम करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक पायलट कार्यक्रम के तहत सड़क दुर्घटना पीड़ितों को 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज प्रदान करने की योजना बनाई है। यह योजना वर्तमान में चंडीगढ़ और पुडुचेरी में लागू है और जल्द ही इसे हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी शुरू किया जाएगा।
सड़क दुर्घटनाओं में शुरुआती कुछ मिनट और घंटे “गोल्डन ऑवर” कहलाते हैं। इस दौरान इलाज मिलने से जान बचने की संभावना अधिक होती है। लेकिन समय पर चिकित्सा उपचार न मिलने से कई जानें चली जाती हैं। इसी समस्या को हल करने के लिए सरकार ने यह योजना तैयार की है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) इस कार्यक्रम को लागू करेगा। इसके तहत:
- पीड़ित को दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों तक कैशलेस इलाज मिलेगा।
- स्थानीय पुलिस, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी और पैनलबद्ध अस्पताल योजना के क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे।
- सभी संबंधित विभागों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- 1.5 लाख तक कैशलेस इलाज: सड़क दुर्घटना के दौरान पीड़ितों को बिना कोई भुगतान किए इलाज मिलेगा।
- अस्पतालों का पैनल: केवल पैनलबद्ध अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध होगी।
- समय सीमा: दुर्घटना के दिन से सात दिनों तक यह सुविधा लागू होगी।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों और चोटों को आधा किया जाए। इस दिशा में यह योजना एक बड़ा कदम है।पायलट योजना के तहत हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के अस्पतालों, पुलिस और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं। हिमाचल के स्वास्थ्य निदेशक प्रवीण चौधरी ने सभी सीएमओ और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट्स को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
योजना की विस्तृत गाइडलाइन आने के बाद ही इसे अन्य राज्यों में लागू किया जाएगा। सरकार उम्मीद कर रही है कि इस योजना के माध्यम से हजारों कीमती जानें बचाई जा सकेंगी