हिमाचल प्रदेश में जमीन के लेनदेन को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए राज्य सरकार ने ई-केवाईसी प्रक्रिया शुरू की है। इस नई प्रक्रिया से बेनामी सौदों पर नकेल कसने के साथ ही भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और अधिक सुरक्षित बनाया जाएगा। राज्य के डिजिटल टेक्नालॉजी एंड गवर्नेंस विभाग द्वारा विकसित इस प्रक्रिया में आधार नंबर के जरिए जमीन के असली मालिक की पहचान की जाएगी।
सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों और पटवारियों को ई-केवाईसी लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत जमीन मालिकों को आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, जमाबंदी की नकल और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। ई-केवाईसी प्रक्रिया के बाद जमीन की यूनीक लैंड आईडी बनाई जाएगी, जिसमें हर व्यक्ति की अचल संपत्ति का पूरा विवरण होगा।
नई प्रक्रिया के तहत हर जमीन का रिकॉर्ड आधार से लिंक किया जाएगा। इससे जमीन के मालिकाना हक से जुड़ी सभी गतिविधियों की जानकारी सीधे एसएमएस अलर्ट के जरिए मोबाइल पर मिलेगी। साथ ही, जमीन के किस्म में बदलाव, रजिस्ट्रेशन और मुआवजा वितरण जैसी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
ई-केवाईसी के फायदे:
- बेनामी सौदे खत्म होंगे:
आधार से लिंक होने के कारण जमीन के असली मालिक का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। - ऋण प्रक्रिया होगी आसान:
ई-केवाईसी के बाद किसान बैंकों से ऋण लेने के लिए आसानी से पात्र होंगे। - पीएम किसान योजना में मदद:
सरकार ने पीएम किसान योजना का लाभ उठाने के लिए भी ई-केवाईसी को अनिवार्य बनाने की तैयारी की है। - डिजिटल और पारदर्शी भूमि रिकॉर्ड:
जमाबंदी, पंजीकरण और प्रमाण पत्र जारी करने में होने वाली त्रुटियां खत्म होंगी। - मुआवजा सही व्यक्ति तक पहुंचेगा:
जमीन का मुआवजा असली मालिक को मिलेगा और किसी अन्य व्यक्ति को गुमराह कर मुआवजा लेने से रोका जा सकेगा।
जिन किसानों के दादा-परदादा की मृत्यु हो चुकी है और उनके नाम का इंतकाल नहीं हुआ है, अब उनकी जमीन को वारिसों के नाम पर चढ़ाया जाएगा। इससे जमीन पर मालिकाना हक में आने वाली समस्याओं का समाधान होगा।
सरकार ने ई-केवाईसी के लिए एक मोबाइल एप भी तैयार की है। इस एप की मदद से आधार नंबर के साथ चेहरे की पहचान की जाएगी और जमीन की सभी जानकारी डिजिटल रूप से रिकॉर्ड की जाएगी।ई-केवाईसी के बाद जमीन की रजिस्ट्री के लिए पहचानकर्ता की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह प्रक्रिया किसानों और जमीन मालिकों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।