हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी पैंशनर्ज की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। दीवाली के बाद पैंशन न मिलने के बाद पैंशनर्ज के बीच भारी आक्रोश फैल गया है। 13 जनवरी तक पैंशन न मिलने के कारण निगम के करीब 8500 पैंशनर्जों ने सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि निगम की कमाई होने का दावा करने के बावजूद पैंशन न मिलना अन्याय है। पैंशनर्ज के लिए यह समस्या और भी गंभीर हो गई है, क्योंकि कई कर्मचारी मार्च 2024 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उन्हें अब तक पैंशन नहीं मिली है।

लोहड़ी और मकर संक्रांति के जैसे प्रमुख त्योहारों पर भी पैंशन न मिलने से पैंशनर्ज में गहरी निराशा है। उनका कहना है कि जो कर्मचारी अपनी पैंशन पर ही निर्भर हैं, वे कैसे इन त्योहारों का आनंद ले सकते हैं। पैंशन का इंतजार कर रहे पैंशनर्ज निगम के दफ्तरों के चक्कर काटने के बावजूद भी निराश हो रहे हैं। यह स्थिति पैंशनर्ज के लिए कठिन होती जा रही है, खासकर जब उनकी लीव इनकैशमेंट और गैच्युटी का भुगतान भी लंबित है।

एचआरटीसी पैंशनर्ज ने संयुक्त बयान में कहा कि निगम प्रबंधन पर करोड़ों रुपए के वित्तीय लाभ लंबित हैं। डेढ़ साल से कई पैंशनर्ज की लीव इनकैशमेंट और गैच्युटी नहीं दी गई है। साथ ही डीए और एरियर की किस्तें भी अब तक जारी नहीं की गई हैं, जबकि अन्य विभागों के कर्मचारियों को दूसरी किस्त मिल चुकी है। रिवाइज पैंशन के एरियर की किस्त भी पैंशनर्ज को नहीं मिली है, जो निगम द्वारा उपेक्षित किए जाने का स्पष्ट संकेत है।

एचआरटीसी पैंशनर्ज कल्याण संगठन के महासचिव सुरेंद्र गौतम और अन्य नेताओं ने पैंशन न मिलने को निगम के पैंशनर्ज के साथ खिलवाड़ बताया है। उनका कहना है कि पैंशनर्ज अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। जल्द ही प्रदेशभर के पैंशनर्ज निगम मुख्यालय और सचिवालय का घेराव करेंगे। इससे पहले दीवाली के अवसर पर पैंशन न मिलने से पहले ही पैंशनर्ज ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। अब लोहड़ी और मकर संक्रांति के समय भी पैंशन न मिलने से उनका गुस्सा और बढ़ गया है।

एचआरटीसी पैंशनर्ज कल्याण मंच के अध्यक्ष बलराम पुरी ने भी इस मामले पर कड़ा रोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि पैंशन न मिलने के कारण पैंशनर्ज का जीवन कठिन हो गया है और अब सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है।

सम्भवत: जल्द ही इस मुद्दे पर हिमाचल प्रदेश में पैंशनर्ज का बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है, जो निगम प्रबंधन और सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।

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