महाकुंभ मेला न केवल श्रद्धालुओं के लिए विशेष होता है, बल्कि नागा साधु (Naga Sadhu) इसका मुख्य आकर्षण भी हैं। निर्वस्त्र अवतार, भभूत लपेटा शरीर, और लंबी जटाओं वाले ये साधु कुंभ में विशेष शाही स्नान करते हैं। लेकिन कुंभ समाप्त होते ही ये साधु अचानक भीड़ से गायब हो जाते हैं।
कुंभ के बाद नागा साधु कहां जाते हैं?
कुंभ मेला समाप्त होने के बाद नागा साधु अपने अखाड़ों में लौट जाते हैं। इनमें वाराणसी का महापरिनिर्वाण अखाड़ा और पंच दशनाम जूना अखाड़ा प्रमुख हैं। यहां ये साधु ध्यान और साधना में लीन हो जाते हैं। कई साधु हिमालय या जंगलों में जाकर कठोर तपस्या करते हैं और फल-फूल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं।
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तीर्थ स्थानों पर नागा साधु
नागा साधु कुंभ के बाद तीर्थ स्थलों जैसे प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में रहते हैं। वे धार्मिक यात्राओं और साधना के माध्यम से जीवन जीते हैं। इनकी तपस्वी जीवनशैली इन्हें सामान्य समाज से अलग बनाती है।
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नागा साधुओं का रहस्यमय जीवन
नागा साधु दिगंबर स्वरूप में केवल कुंभ के दौरान ही नजर आते हैं। इनके अनुसार, धरती इनका बिछौना और आकाश इनका ओढ़ना है। कुंभ समाप्त होने के बाद ये साधु समाज में गमछा पहनकर रहते हैं।