प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में एक अनोखी कहानी ने लाखों श्रद्धालुओं और दर्शकों का ध्यान खींचा है। यह कहानी है जूना अखाड़े के महंत राजपुरी जी महाराज और उनके साथी कबूतर “हरि पुरी” की। बाबा और उनके कबूतर का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
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महंत राजपुरी जी महाराज पिछले आठ-नौ वर्षों से अपने साथी कबूतर हरि पुरी के साथ हैं। बाबा का कहना है कि हरि पुरी उनके जीवन में प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “हरि पुरी के साथ मैंने जीवन के अनमोल पल बिताए हैं। यह मेरे लिए सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रेम और करुणा का प्रतीक है।”
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कबूतर वाले बाबा के अनुसार, सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है। वह कहते हैं, “जीवों की सेवा करना ही हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए। इस जीवन का उद्देश्य दूसरों की भलाई के लिए समर्पित होना है।”
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कुंभ मेला देशभर से लाखों श्रद्धालुओं और संतों को आकर्षित करता है। हर संत अपने अनूठे दृष्टिकोण और साधना के तरीकों से इस भव्य आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। बाबा राजपुरी और उनके कबूतर हरि पुरी की यह अनोखी जोड़ी कुंभ मेले के सबसे चर्चित आकर्षणों में से एक बन गई है।
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हरि पुरी हमेशा बाबा के सिर पर बैठा रहता है, चाहे वह पूजा कर रहे हों, ध्यान में मग्न हों, या श्रद्धालुओं से बातचीत कर रहे हों। यह जोड़ी न केवल कुंभ मेले में आए आगंतुकों का ध्यान खींच रही है, बल्कि लोगों को करुणा और सेवा के प्रति प्रेरित भी कर रही है।
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कुंभ मेले की भीड़ और शोर के बीच, “कबूतर वाले बाबा” और उनके साथी कबूतर हरि पुरी एक प्रेरणादायक संदेश देते हैं—प्रेम, सेवा, और सभी जीवों के प्रति करुणा का।