फैशन की दुनिया में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो कभी आउट ऑफ ट्रेंड नहीं होतीं। ऐसा ही एक प्राचीन और खूबसूरत डिज़ाइन है पेसली पैटर्न, जिसे भारत में “केरी” या “अंबी” के नाम से भी जाना जाता है। यह डिज़ाइन प्राचीन काल से भारतीय परंपरा और संस्कृति का हिस्सा रहा है।
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पेसली पैटर्न का इतिहास
यह पैटर्न लगभग 2000 वर्षों से भी पुराना है। इसका उद्भव भारत के कश्मीर क्षेत्र में हुआ, जहां इसे पश्मीना शॉल्स में इस्तेमाल किया गया। मुगल काल में यह डिज़ाइन राजाओं और महाराजाओं के वस्त्रों पर देखने को मिलता था। धीरे-धीरे यह यूरोप पहुंचा और 19वीं सदी में स्कॉटलैंड के “पेसली” शहर में बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण इसे “पेसली” नाम दिया गया।
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पेसली का सांस्कृतिक महत्व
पेसली पैटर्न को प्रजनन और स्त्रीत्व का प्रतीक माना जाता है। इसका आकार महिला के गर्भ जैसा होता है, इसलिए इसे मातृत्व और जीवन की उत्पत्ति से जोड़ा जाता है। फारसी में इसे “बूटा” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “फूल”।
आधुनिक फैशन में पेसली की जगह
पेसली पैटर्न आज भी फैशन की दुनिया में उतना ही प्रचलित है। यह एथनिक और वेस्टर्न आउटफिट्स के साथ-साथ एक्सेसरीज़, मेहंदी डिज़ाइन, और होम डेकोर में भी लोकप्रिय है। 60 और 70 के दशक में यह साइकेडेलिक फैशन का हिस्सा बना, और 90 के दशक में म्यूजिक बैंड्स ने इसे फिर से ट्रेंड में ला दिया।
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पेसली की वैश्विक पहचान
पेसली पैटर्न न केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों के फैशन में भी जगह बना चुका है। आज इसे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फैशन डिज़ाइनरों के कलेक्शंस में देखा जा सकता है।
फैशन की दुनिया में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो कभी आउट ऑफ ट्रेंड नहीं होतीं। ऐसा ही एक प्राचीन और खूबसूरत डिज़ाइन है पेसली पैटर्न, जिसे भारत में “केरी” या “अंबी” के नाम से भी जाना जाता है। यह डिज़ाइन प्राचीन काल से भारतीय परंपरा और संस्कृति का हिस्सा रहा है।
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पेसली पैटर्न का इतिहास
यह पैटर्न लगभग 2000 वर्षों से भी पुराना है। इसका उद्भव भारत के कश्मीर क्षेत्र में हुआ, जहां इसे पश्मीना शॉल्स में इस्तेमाल किया गया। मुगल काल में यह डिज़ाइन राजाओं और महाराजाओं के वस्त्रों पर देखने को मिलता था। धीरे-धीरे यह यूरोप पहुंचा और 19वीं सदी में स्कॉटलैंड के “पेसली” शहर में बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण इसे “पेसली” नाम दिया गया।
पेसली का सांस्कृतिक महत्व
पेसली पैटर्न को प्रजनन और स्त्रीत्व का प्रतीक माना जाता है। इसका आकार महिला के गर्भ जैसा होता है, इसलिए इसे मातृत्व और जीवन की उत्पत्ति से जोड़ा जाता है। फारसी में इसे “बूटा” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “फूल”।
आधुनिक फैशन में पेसली की जगह
पेसली पैटर्न आज भी फैशन की दुनिया में उतना ही प्रचलित है। यह एथनिक और वेस्टर्न आउटफिट्स के साथ-साथ एक्सेसरीज़, मेहंदी डिज़ाइन, और होम डेकोर में भी लोकप्रिय है। 60 और 70 के दशक में यह साइकेडेलिक फैशन का हिस्सा बना, और 90 के दशक में म्यूजिक बैंड्स ने इसे फिर से ट्रेंड में ला दिया।
पेसली की वैश्विक पहचान
पेसली पैटर्न न केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों के फैशन में भी जगह बना चुका है। आज इसे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फैशन डिज़ाइनरों के कलेक्शंस में देखा जा सकता है।