हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के पीज गांव में सदियाला पर्व का आयोजन धूमधाम से किया गया। इस अनोखी परंपरा में ग्रामीणों ने रातभर मशालें लेकर गांव की परिक्रमा की और परंपरागत गालियां दीं। इस आयोजन का उद्देश्य देवताओं को प्रसन्न करना और क्षेत्र में खुशहाली बनाए रखना है।

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देव परंपरा और गालियों का महत्व
देवता जमलू नागाधार और देवता शीला के हारियानों द्वारा इस पर्व को ढोल-नगाड़ों की थाप पर मनाया गया। देवता के कारदार देवी सिंह के अनुसार, गालियां देना इस पर्व की प्राचीन परंपरा है। माना जाता है कि इन गालियों से आसुरी शक्तियां भागती हैं, और क्षेत्र में सुख-समृद्धि का वास होता है।

गांवों की परिक्रमा और देवता का आशीर्वाद
पीज के साथ-साथ धारा, वैंग, और रायल गांव के लोगों ने रात 12 बजे के बाद मशालें लेकर परिक्रमा की। देवता के प्रांगण में 6 चक्कर लगाने के बाद 7वां चक्कर गांव का लगाया गया। ग्रामीणों ने रायल गांव में गालियां देते हुए जागरे का दहन किया।

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परंपरा का पालन और मान्यताएं
ऐसी मान्यता है कि इन गालियों का बुरा मानने पर व्यक्ति को देवता के कोप का शिकार होना पड़ता है। इसलिए सभी ग्रामीण उत्साहपूर्वक इस परंपरा में भाग लेते हैं। यह पर्व देव समाज की संस्कृति और परंपरा का अद्भुत उदाहरण है।

सदियाला पर्व और समाज
आधुनिक समाज में गालियों पर प्रतिबंध है, लेकिन देव परंपरा में इन्हें शुभ माना जाता है। क्षेत्र के लोग इसे देवताओं के आशीर्वाद से जुड़ा मानते हैं। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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