भाषा एवं संस्कृति विभाग, जिला सोलन, के तत्वावधान में पर्वतीय लोक मंच दाड़वा में पारंपरिक लोक वाद्य वादन पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला लोक कलाकार नितिन तोमर की देखरेख में हो रही है, जिसमें वरिष्ठ कलाकार नवयुवकों को ढोल, नगाड़ा और शहनाई जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य विलुप्त होती लोक संस्कृति को संरक्षित करना और नव युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना है। लोक कलाकार नितिन तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रकार की कार्यशालाएं लोक कला और वाद्ययंत्रों के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि ढोल, नगाड़ा और शहनाई जैसे वाद्ययंत्र हमारी परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को इन वाद्ययंत्रों के इतिहास, उनके महत्व और बजाने की तकनीक से अवगत कराया जा रहा है। यह कदम न केवल युवाओं को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ने का कार्य कर रहा है, बल्कि विलुप्त हो रही परंपराओं के संरक्षण की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।
भाषा अधिकारी ममता ठाकुर द्वारा किये गए इन प्रयासों की सराहना करते हुए नितिन तोमर ने कहा कि विभाग की यह पहल लोक संस्कृति को जीवित रखने और नई पीढ़ी में इसका प्रचार-प्रसार करने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला से सोलन जिले की लोक संस्कृति को नई पहचान मिलेगी और कलाकारों को अपनी कला को और बेहतर बनाने का मौका मिलेगा।
कार्यशाला में शामिल सभी युवाओं ने इसे एक बेहतरीन अनुभव बताया और लोक वाद्ययंत्रों की बारीकियां सीखने पर खुशी जाहिर की।