उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पारित इस कानून का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और जिम्मेदारियां सुनिश्चित करना है। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, और लिव-इन रिश्तों को लेकर नए नियम बनाए गए हैं।
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UCC के तहत प्रमुख प्रावधान:
1. विवाह और लिव-इन रिश्तों का अनिवार्य पंजीकरण
अब सभी विवाहों और लिव-इन रिश्तों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। इससे रिश्तों को कानूनी मान्यता मिलेगी और अधिकारों की सुरक्षा होगी। यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता है या पंजीकरण नहीं कराता है, तो उसे ₹25,000 का जुर्माना या तीन महीने की जेल हो सकती है।
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2. बहुविवाह और बाल विवाह पर प्रतिबंध
UCC के तहत बहुविवाह (पोलिगैमी) और बाल विवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। यह कदम महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।
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3. विवाह की कानूनी उम्र समान
अब विवाह के लिए पुरुष और महिला दोनों की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होगी। यह नियम समानता लाने और युवाओं को शिक्षा और करियर के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
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4. लिव-इन रिश्तों के लिए कानूनी ढांचा
UCC में लिव-इन रिश्तों को कानूनी मान्यता देने के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। 21 वर्ष से कम उम्र के जोड़ों को माता-पिता की सहमति लेनी होगी। इस नियम का पालन न करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
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5. UCC का व्यापक प्रभाव
यह कानून केवल उत्तराखंड में रहने वालों पर ही नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी लागू होगा, जो राज्य से बाहर रह रहे हैं लेकिन लिव-इन रिश्तों में हैं।उत्तराखंड में UCC का लागू होना देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत है। इस कानून से समाज में समानता और पारदर्शिता आएगी।