तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के बड़े भाई ग्यालो थोंडुप का शनिवार को 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन कलिम्पोंग स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ, जिससे तिब्बती समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई। ग्यालो थोंडुप का जन्म 5 नवंबर 1928 को हुआ था और वे आधुनिक तिब्बती इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे हैं।

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ग्यालो थोंडुप ने अपना पूरा जीवन तिब्बती समाज और संस्कृति की सेवा में समर्पित किया। वे तिब्बती स्वायत्तता के संघर्ष में भी एक प्रभावशाली व्यक्ति रहे। उनके निधन की सूचना निर्वासित तिब्बती सरकार के स्पीकर खेंपो सोनम तेंफेल ने सोशल मीडिया पर साझा की और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

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रविवार को कर्नाटक स्थित बाइलाकुप्पे मोनैस्ट्री में धर्मगुरु दलाईलामा की अगुवाई में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई, जहां तिब्बती अनुयायियों और भिक्षुओं ने ग्यालो थोंडुप को श्रद्धांजलि दी।

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ग्यालो थोंडुप के निधन से तिब्बती समाज और दलाईलामा के अनुयायियों में गहरा दुख है। वे तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम और संस्कृति के संरक्षण के लिए सदैव समर्पित रहे। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

ग्यालो थोंडुप के निधन पर तिब्बती धार्मिक संगठनों, वैश्विक बौद्ध समुदाय और उनके समर्थकों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।

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