हिमाचल प्रदेश सरकार की कैबिनेट द्वारा लिए गए न्यूनतम बस किराया बढ़ाने के फैसले के बाद भी अभी तक आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि सरकार इस निर्णय को पुनः विचाराधीन रख सकती है।
निजी बस ऑपरेटर यूनियन का कहना है कि अधिसूचना में देरी से उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है। शिमला सिटी निजी बस ऑपरेटर यूनियन के महासचिव सुनील चौहान ने बयान जारी कर कहा कि अगर सरकार चाहती है कि यात्रियों को सुरक्षित और समय पर सेवा मिले, तो किराया बढ़ाना आवश्यक है।
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चौहान ने बताया कि आज की स्थिति में बसों की मैंटीनेंस, डीजल, और स्पेयर पार्ट्स के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में पुरानी दरों पर बस सेवा जारी रखना असंभव हो चुका है।
उन्होंने कहा कि यूनियन की न्यूनतम किराया 15 रुपए करने की मांग थी, लेकिन सरकार ने 10 रुपए ही निर्धारित किए हैं। बावजूद इसके, कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद भी कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
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यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार इस निर्णय को होल्ड पर रखकर उसमें बदलाव करने की योजना बना रही है। यदि ऐसा हुआ तो निजी बस ऑपरेटरों को और घाटा उठाना पड़ेगा, जिससे वे बसें चलाना बंद करने या बेचने पर मजबूर हो सकते हैं।
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निजी बस संचालकों ने सरकार से शीघ्र अधिसूचना जारी करने की मांग की है ताकि यात्रियों को सुरक्षित और सुचारू सेवाएं मिलती रहें और ऑपरेटर भी आर्थिक रूप से स्थिर रह सकें।