उपायुक्त सोलन कृतिका कुल्हरी ने सोलन जिला में अश्वनी खड्ड एवं इसके पूर्ण जलागम क्षेत्र में सभी प्रकार की अनाधिकृत पर्यटन एवं व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। यह प्रतिबन्ध आपराधिक दण्ड संहिता की धारा 144 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।

इन आदेशों के अनुसार अश्वनी खड्ड के किनारे ऐसे स्थान जहां जल के दूषित होने की सम्भावना है, पर खान-पान स्टाल, कियोस्क, ढाबा, होटल इत्यादि चलाने एवं स्थापित करने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है। नदी में नहाना एवं पिकनिक इत्यादि गतिविधियां आयोजित करने पर भी पूर्ण प्रतिबन्ध है। नदी के किनारों अथवा जल में किसी भी प्रकार का कचरा फैंकने की सख्त मनाही है।

आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि सोलन शहर तथा आस-पास के क्षेेत्रों के लिए पेयजल का स्त्रोत अश्वनी खड्ड है और यह आवश्यक है कि पेयजल के इस स्त्रोत को पूर्ण रूप से स्वच्छ और सुरक्षित रखा जाए। प्रतिबन्धित गतिविधियां स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं तथा इससे महामारी फैलने की सम्भावना भी बनी रहती है।

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आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि पर्यावरण एवं जल संरक्षण तथा जानो-माल की सुरक्षा के लिए ही सोलन जिला की परिधि में अश्वनी खड्ड के किनारे आपराधिक दण्ड संहिता की धारा-144 लागू की गई है। इसके तहत अश्वनी खड्ड में नहाना, गाड़ी धोना तथा प्लास्टिक कचरा एवं अन्य गंदगी फैलाना निषिद्ध है।

आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि अश्वनी खड्ड के जल को दूषित करने तथा नदी के भीतर एवं नदी तल के साथ खान-पान के स्टाॅल स्थापित करने के मामले अधिकतर कण्डाघाट-चायल मार्ग पर स्थित साधुपुल में दृष्टिगोचर हुए हैं।ऐसी परिस्थितियों के दृष्टिगत यह आवश्यक है कि जल को दूषित करने वाली किसी भी गतिविधि को प्रतिबन्धित किया जाए।

पुलिस अधीक्षक सोलन को निर्देश दिए गए हैं कि इन आदेशों की पूर्ण अनुपालना सुनिश्चित बनाई जाए। आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन तथा जल शक्ति विभाग के अधिशाषी अभियन्ता को औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं।

उपमण्डलाधिकारी कण्डाघाट, कार्यकारी दण्डाधिकारी कण्डाघाट (तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार) को निर्देश दिए गए हैं कि इस सम्बन्ध में क्षेत्र में समुचित प्रचार किया जाए तथा पुलिस बल के साथ समुचे क्षेत्र में औचक निरीक्षण किए जाएं ताकि आदेशों की अक्षरशः अनुपालना हो। इन आदेशों के उल्लंघन पर दोषियों के विरूद्ध विधि सम्मत कार्रवाही अमल में लाई जाएगी। यह आदेश तुरन्त प्रभाव से लागू हो गए हैं तथा दो माह की अवधि तक प्रभावी रहेंगे।

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