शहनाज़ भाटिया : अर्की उपमण्डल में भयानक सड़क हादसा होने से टल गया ।एचआरटीसी की रुगड़ा बस नम्बर एचपी-64-1824 अर्की मुख्यालय के लिए लगभग सवा दस बजे के करीब बातल घाटी के समीप पहुंची तभी बस चालक जगदीश चन्द को बस में कुछ खराबी महसूस हुई। तो वह तुरंत बस को रोक कर बस से बाहर आया तो उसने देखा कि इस का पिछला टायर रिम के साथ बाहर निकले वाला है। जिस पर उसने बस में बैठे लगभग दो दर्जन सवारियों को बाहर उतरने का इशारा किया जब सवारियां व परिचालक बस से नीचे उतरे तो उन्होंने देखा कि बस का पिछला टायर रिम के साथ खुलने ही वाला था।
ज्ञात रहे कि इस बस में ज्यादातर अर्की मुख्यालय पर अपने कार्य के लिए व सरकारी कर्मचारी तथा कालेज व स्कुल के बच्चे आते है लेकिन कालेज व स्कुल में छुटियो के कारण बस में ज्यादा भीड़ नही थी। अन्यथा बस में ओवरलोड के चलते यह टायर कही रास्ते मे खुलकर किसी भयानक हादसे को अंजाम दे सकता था। सोचनीय बात यह है कि जब भी बस अपने स्टेशन से चलती है तो चालक द्वारा उसके इंजन से सम्बंधित व टायर से सम्बन्धी कमियों के निरिक्षण किया जाता है। लेकिन रुगड़ा से कुनिहार बस स्टैंड के लिए यह बस लगभग 20 किलोमीटर चली व कुनिहार से बातल घाटी तक लगभग 12 किलो मीटर चली तब तक किसी को बस के टायर खुलने का इल्म तक नही हुआ। यहाँ तक कि बस कुनिहार बस स्टैंड से चली तब भी किसी ने बस के टायरों को चेक नही किया।
इससे साफ पता लगता है कि एचआरटीसी कर्मी सवारियों की जिंदगी से किस प्रकार खिलवाड़ करते है। हालाकि बस चालक जगदीश चन्द ने बस को समय पर रोक कर एक बड़े हादसा होने से बचा लिया। परन्तु अगर भगवान ना करे कही यह हादसा हो जाता तो विभाग के अधिकारी यांत्रिक गलती कह कर अपना पल्लू झाड़ लेते व यह कह कर की चक्का खुल गया इस कारण दुर्घटना हुई है। लेकिन इस प्रकरण से लगता है कि ज्यादातर हादसे मानवीय भूल से होते है तथा विभाग अपनी खाल बचाने के लिए यांत्रिक गलती कह कर बच जाता है। बस अड्डा प्रभारी सुखराम का कहना है कि जब भी बस किसी जगह से चलती है । तो उसे कर्मी द्वारा चेक किया जाता है। लेकिन पहिया के अंदर कुछ टूट गया था। उन्होंने कहाकि मेकेनिक सामान लेकर चेक गया है।