उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों की मजबूती कम होने लगती है, जिससे जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या उत्पन्न होती है। इस स्थिति को अर्थराइटिस या गठिया कहा जाता है। अर्थराइटिस का अर्थ है जोड़ों की सूजन, जो धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है।
अर्थराइटिस के प्रकार
1. ऑस्टियो अर्थराइटिस (Osteoarthritis): यह सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है, जिसमें जोड़ों के कार्टिलेज (हड्डियों के बीच का ऊतक) का घिसाव होता है। इससे जोड़ों में दर्द और कठोरता महसूस होती है।
2. रुमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): यह एक ऑटोइम्यून डिसीज है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम जोड़ों पर हमला करता है, जिससे सूजन और दर्द होता है। यह आमतौर पर हाथों और पैरों के छोटे जोड़ प्रभावित करता है।
अर्थराइटिस के कारण
1. मोटापा: शरीर का अतिरिक्त वज़न जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे दर्द और सूजन की समस्या बढ़ती है।
2. जेनेटिक (Genetic): यदि परिवार के किसी सदस्य को अर्थराइटिस है, तो यह संभावना बढ़ जाती है कि आप भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।
3. खराब खानपान: असंतुलित आहार से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे अर्थराइटिस का खतरा बढ़ सकता है।
4. उम्र: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियों की मजबूती कम होती है, जिससे अर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
5. चोट लगना: सामान्य चोट भी समय के साथ ऑस्टियो अर्थराइटिस का कारण बन सकती है, क्योंकि चोट के बाद कार्टिलेज का स्तर घट सकता है।
अर्थराइटिस के लक्षण
1. जोड़ों में ऐंठन: लंबे समय तक बैठे रहने पर या उठते-बैठते समय जोड़ों में ऐंठन महसूस हो सकती है।
2. सूजन और लालिमा: अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में सूजन, लालिमा और गर्मी महसूस हो सकती है।
3. बार-बार दर्द: जोड़ों में दर्द का अनुभव लगातार या कभी-कभी हो सकता है, जो आमतौर पर बढ़ सकता है।
4. झनझनाहट: लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने से हाथों और पैरों में झनझनाहट महसूस हो सकती है।
अर्थराइटिस का निदान
डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन, ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, और एक्स-रे या एमआरआई जैसे लेबोरेटरी टेस्ट के माध्यम से अर्थराइटिस का निदान करते हैं। आर्थरोस्कोपी का उपयोग भी जोड़ों की आंतरिक छवि देखने के लिए किया जा सकता है।
अर्थराइटिस का उपचार
1. एक्सरसाइज़: सप्ताह में कुछ दिन हल्की एक्सरसाइज़, स्ट्रेचिंग और योग करना महत्वपूर्ण है। यह शरीर की लचीलापन को बनाए रखता है और दर्द को कम करता है।
2. हाइड्रेटेड रहना: दिनभर में पर्याप्त पानी पीना और तरल पदार्थों का सेवन करना शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और दर्द को कम करता है।
3. मोटापे से बचाव: वज़न नियंत्रित रखने से जोड़ों पर दबाव कम होता है। नियमित वॉक और व्यायाम से वज़न नियंत्रित किया जा सकता है।
4. खानपान: स्वस्थ और संतुलित आहार लेना आवश्यक है। विटामिन D, कैल्शियम, और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन अर्थराइटिस की स्थिति को बेहतर बना सकता है।
अर्थराइटिस एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन सही देखभाल और उपचार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आप अर्थराइटिस के लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लें और उचित उपचार प्रारंभ करें।
Disclaimer: यह जानकारी केवल सामान्य संदर्भ के लिए है और चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के लिए हमेशा डॉक्टर से परामर्श करें।