हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है, जिनमें से एक है कर्णवेध संस्कार। यह परंपरा सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। बचपन में कान छिदवाने से न केवल स्वास्थ्य लाभ होते हैं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान भी है।
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वैज्ञानिक कारण:
बीमारियों से बचाव:
कान में मौजूद एक्यूप्रेशर पॉइंट्स शरीर को संतुलित रखते हैं और मधुमेह, अर्धांगवायू (Hemiplegia) और हर्निया जैसी बीमारियों के खतरे को कम करते हैं।मानसिक विकास:
कान छिदवाने से मस्तिष्क की तंत्रिकाएं उत्तेजित होती हैं, जिससे बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि होती है।प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती:
एक्यूपंक्चर विशेषज्ञों के अनुसार, कान छिदवाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
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धार्मिक महत्व:
- हिंदू धर्म में इसे शुभ संस्कार माना जाता है।
- यह बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।
- यह संस्कार बच्चे के 16वें दिन या तीन महीने के भीतर करने की परंपरा है।
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कब कराएं कान छिदवाना?
विशेषज्ञों के अनुसार, 6 महीने से 1 साल की उम्र में कान छिदवाना सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे को कम दर्द होता है और संक्रमण की संभावना भी कम होती है।
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सावधानियां:
✔ स्वच्छता का ध्यान रखें
✔ सर्जिकल स्टील या सोने की बालियां पहनाएं
✔ संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लें