हिमाचल प्रदेश के देव बनियुरी मंदिर, बैला में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर एक अनोखी परंपरा देखने को मिली। पंजाब से आए एक जोड़े सहित प्रदेशभर के 32 जोड़ों ने यहां विवाह के सात फेरे लिए। इस अनोखे विवाह समारोह की खासियत यह है कि यहां बिना कुंडली मिलान के ही शादी संपन्न होती है।
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पुजारी निधि सिंह के अनुसार, मंदिर कमेटी द्वारा सभी नव-विवाहित जोड़ों को विवाह पंजीकरण पत्र भी प्रदान किया गया। शास्त्रों और ज्योतिषीय गणनाओं में विवाह में बाधा आ रही हो या कुंडली में दोष हो, ऐसे जोड़े देव बनियुरी मंदिर में आकर शादी कर सकते हैं। यहां विवाह करवाने के बाद हजारों दंपति सुखी जीवन बिता रहे हैं।
यह मंदिर सिर्फ विवाह ही नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर करने के लिए भी प्रसिद्ध है। देव बालाकामेश्वर बनियुरी को 18 प्रकार की बीमारियों के नाशक देवता माना गया है। पुजारी डोला राम ठाकुर बताते हैं कि राजबाड़ा काल में मंडी रियासत में फैली चर्म रोग महामारी को देवता ने समाप्त कर दिया था।
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उस समय के राजा ने राज्यभर के देवताओं को बुलाकर परीक्षा ली थी। देव बनियुरी ने महामारी को खत्म करने का वचन दिया और राजा ने उन्हें नौगढ़ नाचन व पांचगढ़ पंडोह की सुरक्षा सौंप दी।
देव समाज में देव बालाकामेश्वर बनियुरी को सबसे बड़े 12 कामेश्वरों में गिना जाता है। यह मंदिर वर्षा देवता के रूप में भी प्रसिद्ध है। श्रद्धालु मानते हैं कि देव बनियुरी की कृपा से सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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हर साल हजारों भक्त यहां विवाह, संतान सुख और रोग निवारण के लिए आते हैं। मंदिर की मान्यता और बिना कुंडली मिलान विवाह की परंपरा इसे विशेष बनाती है। अगर आपकी शादी में किसी प्रकार की बाधा आ रही हो, तो देव बनियुरी की शरण में आकर अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।