शहनाज़ भाटिया : विधानसभा चुनावों की नजदीकियों के चलते अर्की विधानसभा क्षेत्र में भी सरगर्मियां बढ़ने लगी है। जिन नेताओ के दर्शन करने के लिए जनता तरसने लगी थी वो अब जनता के बीच जाने के बहाने तलाशने लगे है। कारण है क्षेत्र में तीसरे दल के कदमो की आहट।
तीसरे दल के आगमन के विधानसभा क्षेत्र में दस्तक देते ही अर्की में पहले से विद्यमान दो दलो में अंदरखाते हालत सही नही है और दोनों दलों के फरमावरदार आम जनता के बीच जाकर यह प्रचार कर रहे है कि इस दल से उन्हें कोई नुकसान नही है बल्कि विपक्षी दल को ज्यादा नुकसान होगा किन्तु मन ही मन वह भी घबराये है कि जिस तरह तीसरे दल की लोकप्रियता बढ़ रही है वह कहीं न कहीं दोनो दलो के वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है।
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दोनों दलों के वह नेता व कार्यकर्ता जिनकी अनदेखी स्व0 वीरभद्र सिंह के देहांत के पश्चात या टिकट की लेने की जुगत में व संगठन में उन्हें सम्मानित पद न देकर उनकी अनदेखी की गई वह अंदरखाते तीसरे दल के साथ आगामी चुनावों के लिए शतरंज की बिसात बिछाने व अपनी चाल चलने की जुगत में है। वही दोनो दलो के कुछ पदाधिकारी व कार्यकर्ता खुलकर तीसरे दल का झंडा थमने के लिए तैयार है। औऱ यही बात दोनो दलो के नेताओ को अंदर ही अंदर खाये जा रही है।
इस समय अर्की के राजनीतिक दलों के नेताओ की स्तिथि उस छुछुन्दर की तरह हो गई है कि वह सांप को न तो निगल सकता है। न ही उगल सकता है क्योंकि दोनों स्थिति में नुकसान छछूंदर का होना तय है। वहीं तीसरे दल को दोनों दलों की इस कमजोर नस का पता है और वह उसको दबाता जा रहा है एवम चक्रव्यूह बुनता जा रहा है क्योंकि युवा व गरीब तबके अब इस दल की तरफ आशा की नजरों से देख रहा है कि शायद यह दल किसी युवा व्यक्ति को जोकि आम जनता से जुड़ा हो लोगो की समस्यायों को हर मंच पर उठाता रहा हो जिस को अन्य दलों के रुष्ट नेताओ का वरदहस्त प्राप्त हो जो सभी को साथ लेकर चल सकता हो को टिकट देकर चुनाव में उतारे ।
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जनता पुराने चेहरो की कार्यशैली से ऊब चुकी है आज दो दलो से रुष्ट तीसरे दल में शामिल हुए और होने वाले लोगो के संकेतों के साथ ही दावेदारों के नाम भी चर्चा पर है वहीं इस बार जयनगर से भी एक युवा चेहरे के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा भी जोर पकड रही है। और यह युवा लगातार क्षेत्र में सक्रिय है और पिछले कल भी अर्की में कई अहम लोगों से कई जगह गुपचुप तौर पर कई बैठके की गई पुछे जाने पर इन्होंने चुनाव लड़ने का तो स्पस्ट उतर नहीं दिया लेकिन कई टोलियाँ बनाकर जनता में पकड बनाने का जो काम कर रहा है।त
इससे तय है कि इस बार जयनगर और आस पास की पच्चीस पंचायते जीत व हार के समीकरण बना व बिगाड़ सकती है। क्योकि उनकी मांग है कि उनके क्षेत्र से ही दावेदार को टिकट दिया जाए।अब देखना यह होगा कि क्या तीसरा दल भी पहले दो दलो के नक्शेकदम पर चल कर टिकट आवंटन करेगा या वह नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।क्योंकि लोगों मे चर्चा है कि टिकट काबलियत देखकर नही धनबल व राजनीति उच्च नेताओ पर पकड़ रखने वाले को ही मिलता है। क्या यह तीसरा दल लोगो के इस मिथ्या सोच को खत्म करेगा तथा आज तक सत्ता पर काबिज रहे दोनो दल तीसरे दल के द्वारा रचे जा रहे चक्रव्यूह को तोड़ेंगे या कुछ नया कर लोगो की रुष्टता को खत्म करेंगे।