मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता की टिप्पणियों से राज्य की बिगड़ती स्थिति पर हंगामा

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है, जिससे राज्य की जनता और सरकार दोनों प्रभावित हो रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आर्थिक संकट के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हाल ही में घोषणा की कि राज्य के पास कर्ज उठाने की सीमा केवल 2,317 करोड़ रुपये ही बची है। इसके चलते वेतन और पेंशन को समय पर जारी करने में कठिनाई आ रही है। सुक्खू का दावा है कि उनकी सरकार ने 20% अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला दिया है, जबकि विपक्ष इस स्थिति के लिए कांग्रेस सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहा है।

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति लंबे समय से गंभीर बनी हुई है। दशकों से राज्य की आमदनी के स्थायी स्रोतों की कमी ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। बिजली परियोजनाएं, उद्योग और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सरकार की कोशिशें नाकाफी साबित हुई हैं। वर्तमान में राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वेतन और पेंशन के लिए भी समय पर धन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। राज्य पर कर्ज का बोझ 90 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, और देनदारियों का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये को छूने वाला है।

राज्य की आर्थिक तंगहाली का एक बड़ा कारण आय के स्रोतों की कमी और बजट का असंतुलित बंटवारा है। कर्मचारियों और पेंशनरों की संख्या राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा है, जिससे विकास कार्यों के लिए बजट का केवल 40% ही बच पाता है। 1992 से पहले राज्य पर कर्ज का बोझ नहीं था, लेकिन इसके बाद से कर्ज लेने की दर में तेजी आई है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने दावा किया है कि उन्होंने आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कड़े फैसले लिए हैं, लेकिन विपक्षी नेता जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति पहले कभी इतनी खराब नहीं हुई थी।

डॉ. एनके शारदा, पूर्व प्रोफेसर, अर्थशास्त्र, एचपीयू, का कहना है कि राज्य की अर्थव्यवस्था का स्वरूप ही ऐसा है कि राजस्व का बहुत बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार के अनुदान पर निर्भर है। साथ ही, राज्य में औद्योगिकीकरण और सेवा क्षेत्र में भी बहुत कम वृद्धि हुई है। निरंतर कर्ज लेने की स्थिति और सरकारों द्वारा मुफ्त सुविधाओं का वितरण इस आर्थिक संकट को और बढ़ा रहा है।

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