हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता और भूगोल को देखते हुए, यहां भवन निर्माण में हमेशा से विशेष सावधानी बरती जाती रही है। लेकिन हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और इमारतों के ढहने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण के मानकों में बदलाव करने का निर्णय लिया है।
सोमवार को विधानसभा में नगर एवं ग्राम योजना मंत्री राजेश धर्माणी ने “नगर एवं ग्राम योजना संशोधन विधेयक 2024” पेश किया। इस विधेयक के अंतर्गत भवन निर्माण के लिए नए नियम और मानक निर्धारित किए गए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आपदाओं के खतरों को कम करने में मदद करेंगे।
नए मानकों के मुख्य बिंदु:
उचित जल निकासी की व्यवस्था: भूस्खलन और इमारतों के ढहने की घटनाओं को रोकने के लिए, सभी नए भवनों में उचित जल निकासी की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि बारिश का पानी सही तरीके से निकले और जमीन का क्षरण न हो।
मजबूत नींव: भवनों की नींव के लिए सख्त मानक तय किए गए हैं, जिससे भवनों की मजबूती सुनिश्चित हो सके। इससे भवनों के ढहने का खतरा कम होगा।
स्ट्रेटा की जांच: निर्माण कार्य से पहले भूमि के स्ट्रेटा (भू-आकृति) की जांच करना अनिवार्य होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भूमि निर्माण के लिए सुरक्षित है।
बहुमंजिला भवनों पर रोक: ग्रामीण क्षेत्रों में बहुमंजिला भवन बनाने पर रोक लगाई गई है। इसका उद्देश्य है कि आपदा के समय बहुमंजिला इमारतों के गिरने से जानमाल का नुकसान न हो।
1000 वर्ग मीटर से अधिक के प्लाट: 1000 वर्ग मीटर से अधिक के प्लाट क्षेत्र में बनने वाले सभी भवनों के लिए नए मानक लागू होंगे, जिससे बड़े भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।