हिमाचल प्रदेश के राज्य दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में निर्मित दवाएं उच्च गुणवत्ता की होती हैं और राज्य सरकार इस पर कड़ा नियंत्रण रखती है। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी तत्व हिमाचल की प्रतिष्ठित दवा इंडस्ट्री को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।
डॉ. कपूर ने बताया कि विभिन्न राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन प्राधिकरण ने 20 खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की जानकारी दी थी, जिन पर हिमाचल के सोलन और सिरमौर में निर्मित होने का दावा किया गया था। लेकिन जांच में यह दावा झूठा निकला क्योंकि ये कंपनियां हिमाचल में पंजीकृत ही नहीं थीं।
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उन्होंने कहा कि कोर हेल्थकेयर, डी.जी. फार्मास्यूटिकल्स, सीमेक्स फार्मा और पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल्स जैसी कंपनियों की दवाओं पर हिमाचल का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने कहा कि हाल ही में हरियाणा के सोनीपत में पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल्स नाम की एक कंपनी द्वारा बद्दी के छद्म लेबल के साथ एंटीबायोटिक दवा बनाई जा रही थी। इससे साफ संकेत मिलता है कि हिमाचल की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
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उन्होंने कहा कि कॉफ-एक्स नामक दवा, जिसे सीमेक्स फार्मा का बताया जा रहा था, में कोडिन पदार्थ पाया गया। लेकिन वास्तव में यह हिमाचल में निर्मित नहीं हुई थी।
डॉ. मनीष कपूर ने कहा कि हिमाचल सरकार दवा गुणवत्ता के लिए जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है और कम गुणवत्ता वाली दवा बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में कोई भी गलत गतिविधि पाई जाती है, तो त्वरित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।