हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि राज्य सरकार खनन से 1000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 400 करोड़ रुपये की आय हो रही है, जिसे 600 करोड़ रुपये और बढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार खनन नीति में आवश्यक बदलाव करने के लिए तैयार है। इसके लिए सभी पक्षों से सुझाव लिए जाएंगे। यदि पुराने मामलों में अनियमितताएं हुई हैं, तो उन्हें सुधारने पर भी विचार होगा।
विधायक डा. जनक राज ने चंबा में 165 बीघा सरकारी भूमि को लीज पर देने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा माइनिंग पॉलिसी के तहत 5 बीघा से अधिक जमीन बिना नीलामी के नहीं दी जा सकती, लेकिन यह भूमि बिना नीलामी के लीज पर दी जा रही है।
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उद्योग मंत्री ने कहा कि यह मामला 2015 का है, जब सरकार की नीति के तहत लीज पर भूमि देने का नियम था। 2016 में पर्यावरण मंजूरी के बाद लीज को स्वीकृति मिली, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद 2017 में इसे रद्द कर दिया गया। हालांकि, संबंधित व्यक्ति ने कानूनी प्रक्रिया के तहत फिर से आवेदन किया और 2021 में भारत सरकार की अनुमति भी मिली।
खनन नीति में और क्या बदलाव होंगे?
बड़ी खनन साइटों को छोटे प्लॉट में बांटा जाएगा, जिससे खनन धारकों को कम अपफ्रंट मनी देनी पड़े।
माइनर मिनरल के लिए 5 हैक्टेयर भूमि की शर्त में बदलाव किया जाएगा।
सरकारी भूमि अब केवल नीलामी के माध्यम से ही आवंटित होगी।
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भूमि बंदोबस्त प्रक्रिया में तेजी
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि प्रदेश में भूमि बंदोबस्त प्रक्रिया को आधुनिक तकनीक से तेज किया जा रहा है। अभी इसमें 10-15 साल लगते हैं, लेकिन सरकार इसे कम करने का प्रयास कर रही है।पिछले वर्ष भू-राजस्व अधिनियम, 1954 के तहत राज्य को 2.80 करोड़ रुपये की आय हुई है।