हिमाचल प्रदेश में अब 1000 से अधिक जनसंख्या होने पर ही नई पंचायत का गठन किया जाएगा। सरकार ने पंचायतों के गठन के लिए नए मापदंड निर्धारित कर दिए हैं। पंचायतीराज विभाग और जिला उपायुक्तों को आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन आवेदनों की छंटनी के बाद पंचायत गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

राज्य में पंचायतों की सीमाएं नगर निगम और नगर परिषद के बनने के बाद बदल रही हैं। ऐसे में कई बड़ी पंचायतों को छोटे क्षेत्रों में विभाजित करने की मांग उठी है। नई पंचायत के गठन का निर्णय जनसंख्या, मतदाताओं की संख्या और मुख्यालय से दूरस्थ गांवों की दूरी (5 किमी या उससे अधिक) के आधार पर लिया जाएगा।

जनजातीय क्षेत्रों में, जहां पंचायत की जनसंख्या 750 या उससे अधिक है, वहां भी नई पंचायत बनाई जाएगी। आवेदनों का परीक्षण पंचायतीराज विभाग द्वारा मापदंडों के अनुसार किया जाएगा। इसके बाद अधिसूचनाएं जारी कर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे। जिला उपायुक्त अंतिम अनुमोदन देकर पंचायत गठन की प्रक्रिया को पूर्ण करेंगे।

भाजपा सरकार के समय प्रदेश में 412 नई पंचायतें बनाई गई थीं, जिससे कुल पंचायतों की संख्या 3612 हो गई थी। मौजूदा सरकार ने नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया को पुनः शुरू कर दिया है। ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि मापदंड पूरे करने वाले आवेदनों पर ही नई पंचायत गठन का फैसला लिया जाएगा।

इस नीति से दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा और उन्हें प्रशासनिक सेवाओं तक आसानी से पहुंच मिलेगी।

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