हिमाचल प्रदेश के विधानसभा दूंन क्षेत्र की सबसे बड़ी पंचायत, ग्राम पंचायत दाडवा, अब विभाजन की ओर बढ़ रही है। आज ग्राम पंचायत दाडवा की ग्राम सभा में क्षेत्र की जनता ने दो भागों में विभाजित करने और एक नई पंचायत, तरंगाला के नाम से गठन करने का प्रस्ताव पुरजोर तरीके से सर्वसम्मति से पारित किया।
इस क्षेत्र की जनता लंबे समय से ग्राम पंचायत के बड़े क्षेत्रफल, अधिक जनसंख्या, और बिखरे हुए गांवों के कारण विभाजन की मांग कर रही थी। यह मांग इसलिए उठी क्योंकि पंचायत भवन तक पहुंचने के लिए कई गांवों के लोगों को 10 से 18 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। मार्ग में नदी-नाले और कठिन भूभाग होने के कारण पंचायत भवन तक पहुंचना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिससे ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इस समय ग्राम पंचायत दाडवा में 31 गांव आते हैं, जिनमें से 16 गांव तरंगाला पंचायत के तहत प्रस्तावित हैं। इन गांवों में बरला कामली, धार जोखडी, दघोटा, खेची, तरंगाला, डूह, बागी, डल्यान, डांगरी शेर, भीवां, दाडत, बेपड़, निचला भाग कंद्ररयाड, रयाना, सालन, धार, और धौला वार्ड के कुछ भाग शामिल हैं। नई पंचायत के गठन से ग्रामीणों को पंचायत भवन तक पहुंचने में सुविधाएं मिलेंगी और प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।
ग्राम पंचायत दाडवा की ग्राम सभा में आज इस विभाजन के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया गया। लगभग 4,000 की जनसंख्या वाली इस पंचायत में विभाजन के बाद दोनों पंचायतों में लगभग 1,200-1,200 मतदाता रह जाएंगे, जिससे प्रशासनिक भार भी कम होगा। ग्रामीणों की यह पुरानी मांग अब साकार होती दिख रही है।
ग्राम पंचायत की जनता ने हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से अनुरोध किया है कि वे उनकी इस समस्या और पीड़ा को समझते हुए जल्द से जल्द तरंगाला पंचायत के गठन की प्रक्रिया को शुरू करें। यह प्रस्ताव मुख्य संसदीय सचिव चौधरी रामकुमार के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया है, और ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी मांगों को शीघ्र ही पूरा किया जाएगा।
यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो यह विभाजन ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा। दूर-दराज के गांवों को अब पंचायत भवन तक आने-जाने की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही, नए पंचायत गठन से ग्रामीणों के विकास और प्रशासनिक कार्यों में भी सुधार होने की संभावना है।
ग्राम पंचायत दाडवा का यह विभाजन न केवल क्षेत्र के ग्रामीणों की सुविधाओं को बढ़ाएगा, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी एक नई गति प्रदान करेगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि हिमाचल प्रदेश सरकार इस मांग को किस प्रकार से आगे बढ़ाती है और तरंगाला पंचायत का गठन कब तक होता है।