हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी (हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम) को ड्राइवरों और कंडक्टरों के बकाया वित्तीय लाभ समय पर जारी न करने पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालती आदेशों का अक्षरशः पालन करना आवश्यक है, खासकर जब निर्णय अंतिम हो चुका हो।
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न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और राकेश कैंथला की खंडपीठ ने इस मामले में सैंकड़ों याचिकाओं का निपटारा करते हुए अगली सुनवाई 27 मार्च, 2025 को तय की। कोर्ट ने आदेश दिया कि बकाया भुगतान में देरी के लिए वित्तीय संकट को बहाना नहीं बनाया जा सकता।
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एचआरटीसी ने कोर्ट में बताया कि राज्य सरकार समय-समय पर अनुदान देकर निगम को सहारा देने की कोशिश कर रही है, लेकिन वित्तीय संकट के चलते ड्राइवरों और कंडक्टरों के बकाया भुगतान में देरी हो रही है। हाईकोर्ट ने इसे मानने से इनकार करते हुए कहा कि वित्तीय तंगी अदालती आदेशों के पालन में बाधा नहीं बन सकती।
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हाईकोर्ट ने 9 नवंबर, 2023 को आदेश दिया था कि वर्ष 2003 से 2006 के बीच अनुबंध पर नियुक्त ड्राइवरों और कंडक्टरों को 1 साल के भीतर नियमित किया जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि इन कर्मचारियों को 30 अप्रैल, 2024 तक उनके सभी बकाया सेवा लाभ दिए जाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो बकाया राशि पर 6% ब्याज भी देना होगा।
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अदालती आदेशों के बावजूद बकाया भुगतान नहीं होने पर कर्मचारियों को अनुपालना याचिकाएं दाखिल करनी पड़ीं। कोर्ट ने कहा कि आदेशों का पालन सुनिश्चित करना सरकार और एचआरटीसी दोनों की जिम्मेदारी है।