अगर युद्ध होता है तो इसका सीधा असर भारत भी पड़ सकता है

रूस और यूक्रेन के बीच अगर युद्ध होते हैं या फिर तनाव लंबे समय तक खिंचता है तो इसका सीधा असर भारत के आम आदमी पर भी पड़ सकता है .

मौजूदा संकट से आने वाले दिनों में कीमतों में 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का वैश्विक जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक जीडीपी विकास दर घटकर सिर्फ 0.9 फीसदी रह जाएगी।

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यदि रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। आपको बता दें कि तेल भारत के कुल आयात का लगभग 25 प्रतिशत है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है

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यदि काला सागर क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में रुकावट आती है, तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका कीमतों और ईंधन खाद्य-मुद्रास्फीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक है जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। दोनों देशों का गेहूं, कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है

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