आईआईटी के स्नातक सफलता के प्रतीक माने जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी करियर की ऊंचाई को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग को चुना। इन युवाओं ने समाज में एक नया संदेश दिया है कि जीवन का असली उद्देश्य केवल भौतिक सुखों में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और सेवा में है।
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1. संदीप कुमार भट्ट (आईआईटी दिल्ली):
संदीप कुमार भट्ट, जो आईआईटी दिल्ली के गोल्ड मेडलिस्ट हैं, ने 28 वर्ष की आयु में लाखों की नौकरी छोड़कर सन्यास लेने का निर्णय लिया। अब वे स्वामी सुंदर गोपालदास के रूप में समाज को जागरूक करने के लिए अपने आध्यात्मिक जीवन में समर्पित हैं।
2. अभय सिंह (आईआईटी मुंबई):
आईआईटी मुंबई से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक अभय सिंह ने कनाडा में अपनी लाखों की नौकरी छोड़ दी और भगवान शिव की उपासना में लीन हो गए। उनका महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनना उनकी प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाता है।
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3. अविरल जैन (आईआईटी बीएचयू):
आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में स्नातक अविरल जैन ने 2019 में वालमार्ट जैसी कंपनी में करोड़ों की नौकरी छोड़कर आत्मज्ञान की खोज में कठोर साधना शुरू की। वे जैन मुनि विशुद्ध सागर जी महाराज के शिष्य हैं।
4. संकेत पारिख (आईआईटी बंबई):
आईआईटी बंबई के केमिकल इंजीनियर संकेत पारिख ने अमेरिका में अपनी शानदार नौकरी छोड़कर धर्म का मार्ग अपनाया। उन्होंने जैन मुनि बनने का निर्णय लिया और अब वे आचार्य युग भूषण सुरी के मार्गदर्शन में साधना कर रहे हैं।
5. आचार्य प्रशांत (आईआईटी दिल्ली, आईआईएम अहमदाबाद):
आचार्य प्रशांत, जो पहले आईएएस अधिकारी थे, अब “अद्वैत लाइफ एजुकेशन” के माध्यम से समाज को प्रेरित कर रहे हैं। वे अपने प्रवचनों और आध्यात्मिक ग्रंथों के जरिए लाखों लोगों को जागरूक बना रहे हैं।
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6. एमजे (आईआईटी कानपुर, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय):
आईआईटी कानपुर और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के महान एमजे ने रामकृष्ण मठ से जुड़कर सन्यास लिया। अब वे आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से लोगों को जीवन का गहन अर्थ समझा रहे हैं।
इन महान व्यक्तियों की यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन का असली उद्देश्य आत्मा की शांति और समाज की सेवा में है। ये उदाहरण हमें अपने जीवन को सही दिशा में लाने के लिए प्रेरित करते हैं, और दिखाते हैं कि भौतिक सुखों से कहीं बढ़कर आत्मिक संतोष है।
इन आईआईटी स्नातकों का आध्यात्मिक मार्ग चुनना एक सशक्त संदेश है कि जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने के लिए कभी भी भौतिक सुखों से ऊपर उठना पड़ता है।