प्रयागराज के महाकुंभ मेले में इन दिनों एक दिलचस्प घटना ने सुर्खियां बटोरी हैं। आईआईटियन बाबा अभय सिंह, जिनकी चर्चा पूरे देश में हो रही है, अचानक जूना अखाड़े से बाहर किए जाने के कारण सुर्खियों में हैं। यह घटना महज कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने के बाद सामने आई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस कहानी ने पूरे मेला क्षेत्र में एक नई हलचल मचा दी है।

आईआईटियन बाबा अभय सिंह, जिनका नाम अब तक लाखों लोग जानते हैं, एक समय में मुंबई के आईआईटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर चुके थे। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया और वर्तमान महाकुंभ मेले में अपनी उपस्थिति से लोगों का ध्यान आकर्षित किया। जहां एक ओर उनके समर्पण और साधना को लेकर श्रद्धा दिखाई दी, वहीं दूसरी ओर उनके जूना अखाड़े से बाहर किए जाने की खबर ने चर्चा का बाजार गर्म कर दिया।

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बाबा अभय सिंह ने खुद सोशल मीडिया पर यह खुलासा किया कि उन्हें जूना अखाड़े से बाहर किया गया, क्योंकि उनकी बढ़ती लोकप्रियता से कुछ लोग असहज हो गए थे। उन्होंने यह भी कहा, “मुझे भगाया गया लेकिन मैं कुछ बोल ना दूं, इसलिए रोक लिया गया।” इसके बाद से इस मामले को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। जूना अखाड़े का कहना है कि अभय सिंह ने गुरु के प्रति अपशब्दों का उपयोग किया था, जो सन्यास के अनुशासन के खिलाफ है। गुरु के प्रति सम्मान और समर्पण जरूरी है, और उन्होंने इस नियम का उल्लंघन किया था, जिसके चलते उन्हें बाहर कर दिया गया।

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आईआईटियन बाबा अभय सिंह की इस पूरी घटना ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां उनके समर्थक उनकी सच्चाई और समर्पण की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग अखाड़े के अनुशासन और नियमों पर सवाल उठा रहे हैं। यह विवाद न केवल महाकुंभ के धार्मिक माहौल को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारतीय आध्यात्मिकता में गुरु-शिष्य संबंधों पर भी नए सवाल उठा रहा है।

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