Makar Sankranti पर सूर्य देव की पूजा की जानें सही विधि
पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेगे. मकर संक्रांति के दिन से ही मौसम में बदलाव आरंभ हो जाता है.
शास्त्रों में सूर्य देव को संसार का मित्र बताया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान महादेव के तीन नेत्रों में से एक नेत्र को सूर्य की उपमा दी गई है.
सनातन धर्म में पंचदेव उपासना है, सर्वोपरि भगवान गणेश उपासना, शिव उपासना, विष्णु उपासना, देवी दुर्गा उपासना और सूर्य उपासना. किसी भी देव की उपासना से पूर्व सूर्य उपासना को अति आवश्यक है.
मान्यता है कि बिना सूर्य की आराधना करें बिना किसी भी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. सूर्य भगवान की पूजा और अर्घ्य नित्य देना चाहिए. भगवान सूर्य अर्घ्य प्रिय हैं.
सूर्य पूजा के लिए मकर संक्रांति का दिन सबसे अच्छा माना गया है. इस दिन सूर्य उपासना भी आरंभ कर सकते हैं.
सूर्य पूजन कैसे करना चाहिए
सूर्यनारायण को अर्घ्य जलाशय, नदी इत्यादि के आस-पास देना चाहिए.यदि जलाशय या नदी तक रोज नहीं पहुंच सकते तो साफ-सुथरी भूमि में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.
सूर्य को अर्घ्य देने की विधि
शास्त्रों के अनुसार सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय दोनों हाथों की अंजलि के माध्यम से देना चाहिए .
अर्घ्य देते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हाथ की तर्जनी उंगली और अंगूठा एक-दूसरे से न छुए.
ऐसा होने की स्थिति में पूजा का कोई फल नहीं मिलता है क्योंकि इस मुद्रा को राक्षसी मुद्रा कहा गया है.
सूर्य को कितनी बार अर्घ्य देना चाहिए
तांबे या कांसे का लोटा प्रयोग अर्घ्य देने का प्रावधान है. गंगाजल, लाल चंदन, पुष्प इत्यादि जल में डालना चाहिए. इससे जल की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है.
सूर्य को तीन बार अर्घ्य देना चाहिए और प्रत्येक बार अर्घ्य देते समय प्रत्येक बार परिक्रमा करनी चाहिए.ऐसा करने से ईश्वर की हमेशा आप पर कृपा बनी रहती है.
सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र-
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
ध्यान रखने योग्य बातें
प्रातःकाल सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय दांयी एड़ी को उठाकर और उगते सूर्य को जल की धारा के बीच से देखते हुए अर्घ्य देना अति शुभकारी होता है.
पूर्व की ओर मुख करके ही अर्घ्य देना चाहिए, चाहे किसी कारणवश आपको वह प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देते फिर भी मानसिक रूप से प्रत्यक्ष मानकर अर्घ्य देना चाहिए.
अर्घ्य देने के बाद जल को अपनी आंखों में जरूर लगाना चाहिए. कुछ लोग तुलसी के गमले के ऊपर जल छोड़ते हैं. लेकिन ऐसा करना अत्यधिक नुकसान देने वाला होता है.
अर्घ्य देते समय जल के छींटे शरीर और पैर में न पड़े, इसका ध्यान रखना चाहिए.
उगते हुए सूर्य को जल देना ही फलदायी होता है अर्थात सूर्य उदय होने के 2 घंटे तक ही जल देना चाहिए.
अर्घ्य देने बाद नमस्कार सीधे खड़े होकर सिर झुकाकर नमस्कार करना चाहिए.
अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यधिक फलदायी होता है. कम से कम सूर्य पूजन में 3 परिक्रमा या फिर 7 परिक्रमा करनी चाहिए.
किसी भी कपड़े से अंग को पोछकर और उसी कपड़े को पहनकर देव पूजन नहीं करना चाहिए.