प्रयागराज महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है, जो 25 फरवरी 2025 तक चलेगा। हर 12 सालों में लगने वाले इस महाकुंभ का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहां देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं। इस आयोजन में सबसे बड़ा आकर्षण नागा साधु होते हैं।

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कौन हैं नागा साधु?
नागा साधु स्वयं को भगवान शिव का दूत मानते हैं। ये आजीवन निर्वस्त्र रहते हैं और शरीर पर भस्म लगाते हैं। “नागा” का अर्थ नग्न होता है, जो इनकी तपस्वी जीवनशैली को दर्शाता है। ठंड, गर्मी, या बरसात किसी भी मौसम में ये साधु निर्वस्त्र रहते हैं।

नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया और कुंभ के बाद उनका जीवन

नागा साधु बनने की प्रक्रिया
नागा साधु बनने में 12 साल का समय लगता है। कुंभ में अंतिम संस्कारात्मक प्रण लेने के बाद वे पूरी तरह से सांसारिक जीवन का त्याग करते हैं। इनका जीवन कठोर तपस्या, योग-ध्यान, और ब्रह्मचर्य से परिपूर्ण होता है।

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ठंड से बचाव का रहस्य
कड़कड़ाती ठंड में भी नग्न रहने वाले नागा साधु नाड़ी शोधन, अग्नि साधना, और कठोर तपस्या से अपने शरीर को नियंत्रित रखते हैं। इसके साथ, सात्विक आहार और संयमित विचार उन्हें प्रकृति से सामंजस्य बनाना सिखाते हैं।

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भिक्षा के नियम
नागा साधु दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं, जो वे सात घरों से भिक्षा मांगकर प्राप्त करते हैं। यदि भिक्षा नहीं मिली, तो वे उपवास करते हैं।

महाकुंभ 2025 में इन साधुओं को शाही स्नान में सबसे पहले स्नान करने का अधिकार मिलता है। इनकी रहस्यमय जीवनशैली लोगों के लिए हमेशा कौतूहल का विषय बनी रहती है।

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