मकर संक्रांति का पर्व 2025 में 14 जनवरी को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब इस शुभ पर्व का आरंभ होता है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।

यदि आप किसी कारणवश तीर्थ स्नान के लिए नहीं जा सकते, तो घर पर स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी उतना ही फलदायक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान-दान से व्यक्ति को धन, सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है।

मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति पर स्नान-दान और पूजा के लिए पूरा दिन शुभ माना जाता है।

  • पुण्यकाल: सुबह 9:03 से शाम 5:46 तक
  • महापुण्यकाल: सुबह 9:03 से 10:04 तक
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 से 6:21 तक
  • अमृत काल: सुबह 7:55 से 9:29 तक

इस दौरान किए गए दान और पूजन को विशेष फलदायी माना गया है।

मकर संक्रांति पर स्नान के बाद दान करना शुभ होता है। इस दिन तिल, उड़द की दाल, चावल, चिड़वा, सोना, ऊनी वस्त्र और कंबल दान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन तिल के लड्डू या खिचड़ी बनाना और ग्रहण करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति परंपराएं

मकर संक्रांति को देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है:

  1. उत्तर भारत: इसे खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हर घर में खिचड़ी बनाई और परोसी जाती है।
  2. बिहार: यहां दही-चूड़ा खाने की परंपरा है।
  3. पश्चिम बंगाल: इसे गंगा सागर मेला के रूप में मनाया जाता है।
  4. दक्षिण भारत: यहां इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है।
  5. पूर्वोत्तर भारत: इसे बिहू के नाम से मनाया जाता है

मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। यह पर्व उत्तरायण का प्रतीक है, जब सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है। यह समय शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माना गया है।तिल, गुड़ और खिचड़ी का सेवन करना इस दिन अनिवार्य माना गया है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।

Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसका वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। आपका चैनल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है । 

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