सांकेतिक चित्र

मिजोरम में 2024 में मादक पदार्थों के सेवन के कारण 71 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 11 महिलाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा 2023 की तुलना में थोड़ा कम है, जब मादक पदार्थों के सेवन से 74 लोगों की मौत हुई थी। राज्य के आबकारी और नारकोटिक्स विभाग के प्रवक्ता पीटर जोहमिंगथांगा के अनुसार, अधिकांश मौतें हेरोइन के सेवन के कारण हुई हैं। मिजोरम में मादक पदार्थों के सेवन के कारण मौतों का आंकड़ा चिंता का विषय बन चुका है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मिजोरम में 1984 से लेकर अब तक मादक पदार्थों के सेवन के कारण कुल 1,881 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 230 महिलाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा मिजोरम में मादक पदार्थों के बढ़ते सेवन और तस्करी को दर्शाता है। राज्य में शराब पर प्रतिबंध लागू है, लेकिन इसके बावजूद म्यांमा से मादक पदार्थों की तस्करी का सिलसिला जारी है। मिजोरम म्यांमा और बांग्लादेश के साथ 828 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, और यह सीमा मादक पदार्थों की तस्करी के लिए प्रमुख मार्ग बन चुकी है।

मिजोरम सरकार ने मादक पदार्थों के सेवन पर नियंत्रण पाने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। मिजोरम में हेरोइन के अलावा अन्य मादक पदार्थों जैसे कोकीन, अफीम और चरस का भी सेवन किया जा रहा है, जिससे राज्य में मादक पदार्थों से संबंधित मौतों की संख्या बढ़ रही है।

आबकारी और नारकोटिक्स विभाग ने मादक पदार्थों की तस्करी और उनके सेवन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है। विभाग ने स्थानीय अधिकारियों और नागरिकों से मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान में सहयोग करने का आह्वान किया है। इसके अलावा, विभाग ने मादक पदार्थों के सेवन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है।

मिजोरम में मादक पदार्थों से होने वाली मौतों की संख्या में हल्का सुधार जरूर हुआ है, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए और अधिक कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि तस्करी पर काबू पाकर और स्थानीय समुदायों को जागरूक करके मिजोरम को मादक पदार्थों से मुक्त किया जा सकेगा।

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