Arki में कार्यरत मिड डे मील वर्कर्स की बैठक आयोजित
शिक्षा खण्ड अर्की में कार्यरत मिड डे मील वर्कर्स की बैठक राज्य संयोजक जगत राम की अध्यक्षता में अर्की में सम्पन्न हुई। बैठक में राज्य व केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया कि मिड डे मील वर्कर्स की मांगों के प्रति सरकार अड़ियल रवैया अपनाए हुए है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील के वर्कर्स के वेतन में कोई बढ़ोतरी नही की है। लगातार मिड डे मील योजना के बजट में कटौती कर कमजोर किया जा रहा है। मिड डे मील वर्कर्स को 12 महीने के बजाय 10 महीने का वेतन दिया जाता है। मिड डे मील वर्कर्स की नौकरी के संबंधित 25 बच्चों की शर्त के चलते हर साल सैंकड़ों वर्कर्स को नौकरी से निकाला जाता है। प्रदेश में मिड डे मील वर्कर से स्कूलों के अतिरिक्त कार्य करवाए जाते हैं प्रदेश सरकार मिड डे मील वर्कर की प्रति माह की ₹2600 मासिक वेतन देकर प्रदेश के हजारों मिड डे मील वर्कर्स के साथ भद्दा मजाक कर रहे हैं। योजना को एनजीओ के हवाले किया जा रहा है हाल ही में मिड डे मील योजना के नाम पर प्रधानमंत्री पोषण योजना रखने का फैसला लिया है और इस योजना 5 साल चलाया जाएगा। उसके बाद सरकार मिड डे मील योजना को बंद करने का प्रयास करेगी। प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा मल्टी टास्क वर्कर्स के 8000 पदों को भरने का फैसला लिया है जिसमें 4000 मुख्यमंत्री महोदय की अनुशंसा और 4000 इंटरव्यू के तहत भरे जाएंगे। यूनियन ने इसका विरोध किया है कि बैक डोर एंट्री के लिए यह सब किया जा रहा है। बैठक में मांग की गई थी पार्ट टाइम मल्टी टास्क संबंध वर्कर्स की भर्ती में मिड डे मील वर्कर्स को प्राथमिकता के आधार पर नियुक्त किया जाए। उन्होंने मांग की है कि मिड डे मील वर्कर्स को ₹9000 प्रतिमाह वेतन दिया जाए। प्रदेश उच्च न्यायालय ने वर्ष 2019 में यूनियन द्वारा की गई अपील पर फैसला दिया कि प्रदेश में मिड डे मील वर्कर्स को 10 महीने के बजाय 12 महीने का वेतन दिया जाए। सरकार इसे लागू नहीं कर रही है यूनियन ने मांग की कि तुरंत सरकार मिड डे मील वर्कर्स को 12 महीने का वेतन एरियर सहित दे। मिड डे मील योजना का नाम बदलने के फैसले को वापस लिया जाए। मिड डे मील वर्कर की नौकरी से संबंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए।