प्रयागराज महाकुंभ 2025, भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्वितीय पर्व है, जो हर बारह साल में विशेष ज्योतिषीय संयोग के तहत संगम तट पर आयोजित होता है। इस बार, बृहस्पति के मेष राशि और सूर्य-चंद्रमा के मकर राशि में होने का दुर्लभ संयोग इसे और भी विशेष बनाता है।

नागा साधुओं की पेशवाई महाकुंभ का प्रमुख आकर्षण है। यह परंपरा न केवल सनातन धर्म की आस्था को प्रदर्शित करती है, बल्कि भारतीय इतिहास में नागा साधुओं की वीरता और संघर्ष की गाथा को भी दर्शाती है। इन साधुओं ने मुगल और अंग्रेजी आक्रमणों का साहसपूर्वक सामना किया था।

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हर्षवर्धन का दानशील इतिहास भी कुंभ मेले की पहचान है। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इस मेले का वर्णन किया है, जहां सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी पूरी संपत्ति दान कर दी थी। यह आयोजन भारतीय समाज के सामूहिक आस्था और एकता का प्रतीक है।

ज्योतिषीय महत्व: महाकुंभ का आयोजन बृहस्पति के मेष राशि में आने और सूर्य-चंद्रमा के मकर राशि में होने पर होता है। यह दुर्लभ संयोग महाकुंभ को धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र और शुभ बनाता है।

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महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय समाज की आस्था, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में संगम स्नान का महत्व अपार है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए एकत्रित होंगे।

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