शनि प्रदोष व्रत कल, भगवान शिव को करें प्रसन्न
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली त्रयोदशी को रखा जाता है .इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है.इस साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 15 जनवरी, शनिवार को पड़ रही है और इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं.
शास्त्रों के अनुसार, शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति की कामना करने वालों के लिए उत्तम माना जाता है.शनि प्रदोष व्रत रखने वाले भक्तों को भगवान शंकर के साथ शनिदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 15 जनवरी को सुबह 12 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ होगी और 16 जनवरी को सुबह 03 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजन का विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत के दिन पूजन का समय शाम 07 बजकर 26 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें .स्नान के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें .घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.अगर संभव है तो व्रत करें . भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें. इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है . इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान शिव की आरती करें.
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शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को ऐसे किया जाता है प्रसन्न
पीपल को भगवान शंकर का स्वरूप माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत के दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
जल में काले तिल मिलाकर पीपल के पेड़ को अर्घ्य देने से शनिदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.
शनिवार के दिन जल में काले तिल या इत्र मिलाकर भगवान शंकर को अर्घ्य देना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं.
शनिवार के दिन शिव चालीसा व शनि मंत्रों का जाप करने से लाभ मिलता है .
शनि प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदेव के साथ भगवान शंकर और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है .