आज हिमाचल प्रदेश कर्मचारी महासंघ की एक महत्वपूर्ण आम सभा शिमला में आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के कर्मचारियों के लंबित डीए, एरियर और अन्य मुद्दों पर गंभीर चर्चा की गई। महासंघ के नेताओं ने आगामी रणनीति को लेकर विचार विमर्श किया और सरकारी अधिकारियों से कर्मचारियों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग की।

सचिवालय कर्मचारियों की मांगें

महासंघ के नेता हीरा लाल वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे सचिवालय कर्मचारियों की मांगों के साथ पूरी तरह से खड़े हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है। वर्मा ने कहा कि सरकार को कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

सरकार और कर्मचारियों के बीच तालमेल जरूरी

वर्मा ने यह भी कहा कि सरकार और कर्मचारियों के बीच तालमेल बनाना अत्यंत आवश्यक है। सचिवालय कर्मचारियों के साथ संवाद स्थापित करना और उनकी समस्याओं को हल करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले समय में भी सरकारें रही हैं, लेकिन उन्होंने कर्मचारियों की समस्याओं को अनदेखा नहीं किया।

कर्मचारी कोई चैरिटी नहीं मांग रहे

वर्मा ने कर्मचारियों के प्रति सरकार के रवैये पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को चैरिटी नहीं, बल्कि उनके श्रम के उचित मुआवजे की मांग है। प्रदेश में लगभग 4 लाख 85 हजार कर्मचारी और पेंशनर्स हैं, और सभी का एक समान अधिकार है कि उनकी मांगों को गंभीरता से सुना जाए।

यूपीएस और एनपीएस पर चिंता

वर्मा ने यूपीएस और एनपीएस की स्थितियों पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि ये वर्तमान में बहुत समस्याग्रस्त हैं। यूपीएस की स्थिति एनपीएस से भी बदतर है, जो कर्मचारियों की समस्याओं को और बढ़ा रही है।

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