राजीव ख़ामोश, कुठाड़ : कुनिहार के पास स्थित गांव लोहारा में आजकल आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत पुराण ज्ञानमयी कथा का आयोजन ज्ञानचंद एवं उनके परिवार के सदस्य कथा का आयोजन कर रहे हैं l

इस ज्ञानमयी एवं पावक श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक आचार्य हरि जी महाराज ने अपने मुखारविंद से इस पावन कथा का रसास्वादन, अर्थानुभूति एवं आनंदानुभूति कराते हुए उपस्थित सभी भक्तों को भगवान भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला के प्रसंग को बहुत ही मनमोहक एवं भावपूर्ण तरीके से सुनाया l

कथावाचक ने व्यासगद्दी से प्रवचनों की बौछार और रसास्वादन कराते हुए कहा भगवान विष्णु जी इस धरा पर धर्म की रक्षा के लिए एवं पापों को मिटाने के लिए समय-समय पर इस धरा पर मानव रूप में जन्म लेते हैं l

इसी के तहत भगवान विष्णु जी भी ने भी त्रेता युग में मथुरा में देवकी के गर्भ से वासुदेव के घर में बाल रूप में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया भगवान श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य उपस्थिति की अनुभूति सभी को अपने बाल्यावस्था से ही करा दी थी l

उन्होंने त्रेता युग में फैली बुराइयों को जड़ से मिटाया एवं दुष्ट प्रवृत्ति से ओतप्रोत कंस का विनाश किया और इस धरा पर धर्म की स्थापना कि lभगवान श्री कृष्ण की महिमा असीमित एवं अपरंपार है l भगवान का ना आदि का पता है ना अंत का पता है l हमें भगवान को सदैव स्मरण रखना चाहिए और अच्छे कार्यों के प्रति प्रवृत्त रहना चाहिए क्योंकि इस संसार के कण-कण में विद्यमान है l

उन्होंने कहा कि ईश्वर का एक रूप नहीं है परंतु वह समस्त रूपों को अभीगृहित किए हुए l जब भगवान हमेशा हमारी और है तो हमें किस से डरने की आवश्यकता नहीं है lजब हम भगवान श्री कृष्ण की इच्छा के सामने आत्मसमर्पण करते हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, तब कृष्ण हमारी पग- पग पर रक्षा करते हैं l

जैसे पलके हमारी आंखों की रक्षा करती है lएक बार जब हम कर्तापन की भावना को छोड़ देते हैं और उनके दिव्य हाथों में केवल मात्र हम यंत्र बन जाते हैं तो हम पर अपनी कृपा अवश्य भगवान बरसाते हैं l हम अपने सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करते हैं l

सर्वव्यापी एवं सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु हमारी आवश्यकता को हमेशा पूरा करते हैं और हमारे साथ सदैव विद्यमान रहते हैं lहमें घबराने की आवश्यकता नहीं है, ऐसा अटूट विश्वास हमें अपने अंदर विकसित करना चाहिए कथा के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कथा आयोजकों ने बताया ने कि यह ज्ञानमयीश्रीमद् भागवत कथा बुधवार 22 फरवरी से आरंभ होकर 28 फरवरी मंगलवार तक आयोजित की जाएगी l

कथा के दौरान सुबह सात बजे मूल पाठ प्रतिदिन एवं दोपहर एक से चार बजे तक प्रतिदिन कथा का आयोजन एवं उसके उपरांत सभी को नारायण सेवा के रूप में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है l

इस कथा में कुनिहार एवं आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग इस पावनमयी कथा में उपस्थित होकर के पुण्य के भागीदार बन रहे हैं और साथ ही उन्होंने सभी को इस मंगलकारी एवं पावन कथा में अधिक से अधिक संख्या में सहभागी बनने का आह्वान किया l

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