सोलन कोर्ट ने 7 साल की बच्ची के हत्यारे को सुनाई फांसी की सज़ा

सोलन कोर्ट ने पहली बार किसी को फांसी के तख्ते पर लटकाने के फैसला सुनाया है।अपने फैसले मे कोर्ट ने लिखा है कि उसे तब तक फांसी के फंदे पर लटका रहने दिया जाए जब तक उसकी मौत हो नहीं जाती. यानि Hanged By Neck Till He Is Dead .आखिर माननीय न्यायलय को ये कदम क्यों उठाना पड़ा ??? इस सबके पीछे कहानी है एक ऐसे दरिंदे की जिसने 7 साल की बच्ची को पहले अपनी हवस का शिकार बनाया फिर गला घोंटकर मासूम की निर्मम हत्या कर दी.

सोलन कोर्ट ने 7 साल की बच्ची के हत्यारे को सुनाई फांसी की सज़ा

आरोपी ने 21 फरवरी 2017 को जिला सोलन के बद्दी मे दरिंदे ने न सिर्फ 7 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया बल्कि  मासूम के प्राइवेट पार्ट में लकड़ी का टुकड़ा भी डालने के बाद उसकी निर्मम हत्या कर दी थी . इस जघन्य अपराध को सोलन में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश (एडीजे) को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने “Rarest Of Rare Case” करार दिया है। एडीजे डॉ. परविंदर सिंह अरोड़ा ने वारदात में दोषी पाए गए उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला के रहने वाले आकाश को सजा.ए.मौत का फरमान सुनाया है.

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डॉ परविंदर सिंह अरोड़ा ने अदालत में दोषी को आईपीसी की धारा.302, 376 व पोक्सो एक्ट की धारा.10 के तहत सजा सुनाई है। अदालत ने ये भी टिप्पणी कि अपराध की ये घटना असाधारण है इसमें आजीवन कारावास की सजा अपर्याप्त होगी। मासूम की तरफ से सरकारी वकील वासुदेवा ने कोर्ट में बच्ची की तरफ से केस लड़ा और आकाश को फांसी के फंदे तक पहुंचाया। जिला न्यायवादी एमके शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पीयूष कपिला ने शव का पोस्टमार्टम किया था और उसमे पाया था कि बच्ची की हत्या गला घोंटकर की गई और दरिंदगी के साथ बच्ची के साथ दुराचार करने के बाद हत्या की गई थी .

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पहली बार सोलन कोर्ट मे एडीजे डॉ परविंदर सिंह अरोड़ा द्वारा सुनाई गई सज़ा-ए -मौत उन लोगों के लिए कडा संदेश है जो इस तरह की जघन्य घटनाओं को अंजाम देते है और कानून को कमजोर समझते है। इस फैसले के बाद कोई भी दरिंदा ऐसा करने से पहले हजार बार सोचेगा क्योकि वासुदेवा जैसे सरकारी वकील आज भी न्याय दिलाने के पैरवी करने के लिए सक्षम हैं और डॉ अरोड़ा जैसे जज उन्हे उनकी करतूतों के लिए उनकी सही जगह तक पहुंचाने के लिए न्याय दिलाने वाली कुर्सी पर विराजमान है.

माननीय सोलन कोर्ट के इस फैसले के लिए “आपका चैनल न्यूज़” का सलाम 

 

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