तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि सोमवार को विधानसभा में राष्ट्रगान का अपमान होने के कारण सदन से चले गए। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। राजभवन द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने विधानसभा में पारंपरिक अभिभाषण देने के लिए प्रवेश किया था, लेकिन जैसे ही राष्ट्रगान गाने की बात आई, मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु ने इसे नकार दिया।

राजभवन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि राज्यपाल ने बार-बार मुख्यमंत्री और अध्यक्ष से अपील की कि वे राष्ट्रगान गाएं, क्योंकि यह भारतीय संविधान में निहित कर्तव्य है। इसके बावजूद, उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया। इस पर राज्यपाल बेहद क्षुब्ध होकर सदन से बाहर चले गए। राजभवन के पोस्ट में कहा गया कि राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारे संविधान का अहम हिस्सा है, और यह सभी राज्य विधानसभाओं में परंपरा है।

यह घटना तमिलनाडु विधानसभा में संविधान और राष्ट्रगान के अपमान के तौर पर सामने आई है, जिसने संविधान की गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्यपाल ने इस घटना को अत्यंत चिंताजनक बताया और कहा कि इस प्रकार के अपमान से उन्हें गहरी निराशा हुई। राजभवन ने यह भी बताया कि पोस्ट कुछ समय के लिए हटा दिया गया था, लेकिन फिर से प्रकाशित कर दिया गया।

इस घटनाक्रम ने राजनीतिक दृष्टिकोण से नई बहस को जन्म दिया है। विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच इस मुद्दे पर तर्क-वितर्क बढ़ने की संभावना है, खासकर जब संविधान और राष्ट्रगान की गरिमा की बात आती है।

राज्यपाल का यह कदम और उसका सार्वजनिक विरोध संविधान के महत्व को एक बार फिर से उजागर करता है। संविधान के प्रति श्रद्धा और राष्ट्रगान का सम्मान देश की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं, जो हर नागरिक पर संविधान द्वारा निर्धारित कर्तव्य हैं।

राज्यपाल के इस कदम को लेकर आने वाले दिनों में और अधिक बयानबाजी हो सकती है, जो राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है।

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