हीरा दत्त शर्मा , चंडी : शिक्षक शिक्षा प्रणाली की असली गत्यात्मक शक्ति हैं। उनका प्रभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीढ़ियों पर पड़ता है। विद्यालय की प्रतिष्ठा और समाज पर उनका प्रभाव शिक्षकों की योग्यता पर निर्भर करता है। शिक्षक ही वह शक्ति हैं, जो आने वाली पीढ़ियों का निर्माण करते हैं और राष्ट्र को उन्नति की दिशा में ले जाते हैं।
शिक्षक का महत्व समाज और शिक्षा पद्धति दोनों में ही स्पष्ट है। एक आदर्श शिक्षक समाज को गति प्रदान करने वाला, राष्ट्र निर्माता, और शिक्षा पद्धति की आधारशिला माना गया है। यह शिक्षक की व्यक्तिगत योग्यता है जो शिक्षा के पुनर्निर्माण में निर्णायक होती है। एक अच्छे शिक्षक में बालकों को समझने की शक्ति, शिक्षण योग्यता, और सहकारिता जैसे गुण होने चाहिए।
शिक्षक का कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनकी जिम्मेदारी समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने में होती है। शिक्षक का कार्य न केवल शैक्षिक बल्कि सामाजिक और नैतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। एक अच्छे शिक्षक को अपने छात्रों के व्यक्तित्व को समझते हुए उन्हें प्रेरित करना चाहिए। शिक्षक का स्तर जितना ऊँचा होगा, राष्ट्र उतना ही उन्नति करेगा।
शिक्षक को आधुनिक शैक्षिक तकनीकों और नवाचारों को अपनाते हुए, छात्र केंद्रित बाल मनोविज्ञान पर आधारित शिक्षा पद्धति का अनुसरण करना होगा। उन्हें विद्यालय में ऐसा वातावरण बनाना चाहिए, जिसमें छात्रों की छिपी प्रतिभाएँ निखर सकें और वे खुशी के साथ विद्यालय में आ सकें।