हिमाचल प्रदेश में राजकीय टीजीटी कला संघ ने सरकार द्वारा खराब परीक्षा परिणाम के आधार पर शिक्षकों की वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) रोकने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल ने इसे अन्यायपूर्ण करार देते हुए सरकार से तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।

शिक्षकों पर क्यों थोपा जा रहा पूरा दोष?

संघ का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई में काफी नुकसान हुआ था, जिसका असर 2021 से 2023 तक के परीक्षा परिणामों पर भी पड़ा। ऐसे में सारा दोष शिक्षकों पर डालना अनुचित है।

संघ ने स्पष्ट किया कि शून्य परीक्षा परिणाम वाले स्कूलों की इंक्रीमेंट बहाली की मांग नहीं की जा रही, लेकिन जहां औसत से कम परिणाम आए, वहां वेतन वृद्धि रोकने का फैसला अनुचित है।

गैर-शैक्षिक कार्यों में उलझे शिक्षक

संघ के अनुसार, शिक्षकों को गैर-शैक्षिक कार्यों में अधिक व्यस्त रखा गया, जिससे पढ़ाई प्रभावित हुई। कई स्कूलों में स्टाफ की भारी कमी रही, जिसके कारण शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों का बोझ उठाना पड़ा। ऐसे में इंक्रीमेंट रोकने की बजाय चेतावनी जारी करना ज्यादा उचित होता।

संघ की सरकार से अपील

निदेशक प्रारंभिक शिक्षा से इस मामले की शीघ्र समीक्षा करने की अपील करते हुए संघ ने कहा कि नियमित सेवा में आने के बाद पिछली गलतियों की सजा देना शिक्षकों के आर्थिक हितों पर चोट करने जैसा है। सरकार को जल्द ही इस पर सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए।

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