Arki में उपमंडी व किसान विश्राम गृह भवन की हालत हुई जर्जर

सरकार द्वारा वोट की राजनीति के चलते जगह जगह विभिन्न विभागों के कार्यालय खोलने व भवन निर्माण की बस खोखली घोषणाएं ही की जा रही है।जो कार्यालय या भवन पूर्व की सरकारों ने चलाये या बनाये है वो किस हालात में है इसकी चिंता सरकार व उनके नुमाइंदों को नही है.
Arki में उपमंडी व किसान विश्राम गृह भवन की हालत हुई  जर्जर
 
ऐसी ही एक घोषणा के तहत पिछले दिनों अर्की विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान सरकार द्वारा भवन निर्माण की प्रक्रिया जारी की गई है  जिसपर क्षेत्र के लोगो ने प्रसन्नता जताई ।लेकिन उसी विभाग के द्वारा अर्की नगर पंचायत क्षेत्र में बने भवन की दुर्दशा की सुध आज तक किसी भी सरकार व उसके नुमाइंदो ने नही ली जिसको लेकर आम आदमी व किसानों में सरकार के प्रति कड़ा रोष है.
 
ज्ञात रहे कि 30 अक्टूबर 2000 को अर्की में किसानों की मांग को देखते हुए भाजपा सरकार के द्वारा लाखो रुपये से विनियमित उपमंडी व किसान विश्राम गृह भवन अर्की का निर्माण कर तत्कालीन कृषि मंत्री हिमाचल प्रदेश चौधरी विद्यासागर व अध्यक्ष विपणन बोर्ड हिमाचल प्रदेश वीरेंद्र कश्यप द्वारा उद्घाटन कर लोकार्पण किया गया था. जिससे क्षेत्र के छोटे किसानों में एक आस जगी की उनके द्वारा उपजाई गई सब्जियों व अन्य चीजों को अर्की से बाहर की मंडियों में भेजने के लिए एक स्थान मिल गया जहाँ वह अपनी सब्जी या अन्य वस्तु एक दो दिन रख सकते है ताकि बाहरी मंडियों से आढ़ती आकर उनके  द्वारा लाई गई फसलों का उचित दाम उन्हें घर द्वार पर ही मिल जाएगा.
 

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परन्तु उपमंडी भवन बनने पश्चात आज तक इस भवन का लाभ ना तो आम किसान को मिला है ना ही सरकार इससे कोई लाभ उठा सकी है।आज भी अर्की का आम किसान अर्की से बाहर अपनी फसल ले जाकर ओनेपोने दामो पर बेचने को मजबूर है तथा इस दो मंजिला भवन में ग्राउण्ड फ्लोर में दुकानें या स्टोर तथा ऊपरी मंजिल में चौकीदार की रिहाइश के साथ दो कमरे भी है जो कि किसानों या बाहर से आये आढ़तियों के विश्राम के लिये बनाये गए थे।
 
लेकिन आज इस भवन के रखरखाव एवम मेंटिनेंस के अभाव में यह हालत हो गई है कि भवन का मुख्य गेट टूटा हुआ है जिसके कारण इस भवन का बरामदा रात्रि को बेसहारा पशु का विश्राम स्थली एवम प्रांगण लोगो के कार पार्किंग स्थल बना हुआ है। जगह जगह बल्कि दूसरी मंजिल के लिये जाने वाली सीढ़ियों के बन्द पड़े शटर के पास सूखे गोबर व कूड़े का ढेर लगा है। भवन के बाहरी दीवारों से पलस्तर उखड़ गए है ।भवन के दीवारों, आसपास व लेंटल पर जंगली झाड़ियां उग गई है परन्तु विभाग द्वारा तीसरी मंजिल बनाने के लिए पिलर हेतु जो सरिये रखे गए थे वह बचे हुए व साफ दिखाई दे रहे है.
 

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इस बारे में भवन के समीप रहने वाली एक स्थानीय महिला ने बताया कि रात्रि के समय भवन के आस पास नशेड़ीयो व असामाजिक तत्वों का जमघट लग जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ माह पूर्व सोलन से कोई बड़ा पदाधिकारी आये थे व आश्वासन देकर गए थे कि भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा लेकिन आज तक कुछ नही हुआ। साथ ही क्षेत्र के किसानों का कहना है कि यदि इस भवन का निर्माण मुख्य सड़क पर किया गया होता तो आज इसकी ये दुर्दशा नही होती व किसानों व आढ़तियों को फसल लाने ले जाने में सुविधा होती भी होती। 
 
स्थानीय किसानों की सरकार से मांग है कि इस भवन की दशा सुधार कर इसे सुचारू चलाने की योजना बनाई जाए या लोकनिर्माण विभाग को सौप दिया जाए अन्यथा किसी दिन यह भवन भरभरा कर गिर पड़ेगा। ज्ञात रहे जब भी इस भवन की दुर्दशा के बारे में सम्बंधित अधिकारियों या पदाधिकारियों से बात की जाती है तो उनका रटा रटाया आश्वासन होता है कि जल्द ही इस बारे में कुछ किया जाएगा परन्तु आज तक धरातल में कुछ नही हुआ है और यह भवन ढ़हने की हालत में हो चुका है .

इस बारे संजीव कश्यप चेयरमैन कृषि मंडी  सोलन से जब दूरभाष द्वारा  बात की गई तो उनका कहना था कि  इस भवन के बारे में शीघ्र कुछ सोचा जाएगा

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